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शनिवार, 16 अप्रैल 2011
शुक्रवार, 15 अप्रैल 2011
गुरुवार, 14 अप्रैल 2011
मंगलवार, 12 अप्रैल 2011
मेरे त्रिपदम (हाइकु)
क्षमा चाहिए
त्वरित वेग था वो
बाँध लिया है
होती गलती
सुधार भी संभव
आधार यही
नित नवीन
सोच के फूल खिलें
महकें बस
त्वरित वेग था वो
बाँध लिया है
होती गलती
सुधार भी संभव
आधार यही
नित नवीन
सोच के फूल खिलें
महकें बस
दम घुटता
तोड़ दे पिंजरे को
मन विकलकल न पड़े
मन-पंछी आकुल
उड़ना चाहे
शनिवार, 9 अप्रैल 2011
अपने को बदलो....बदलाव नया इक आएगा....
अन्नाजी अनशन पर बैठे सपना सुन्दर लेकर
इक दिन ऐसा आएगा जब होगा भष्ट्राचार खत्म ....
होगा लोकपाल बिल पास, बंद होगा बेईमानी का खेल
भ्रष्टाचारी नेता जाएँग़ें जेल, जनता में जागी इक आस......
टीवी के हर चैनल में खबर यही थी...
अखबारों में भी चर्चा इसकी थी......
बेटा टीवी देख रहा था, सोच में अपनी डूब रहा था...
पापा से बोला.....
बिजली पानी का मीटर डायरेक्ट लगा है....
गेट हमारा सरकारी सड़क पर बना है....
हाउसटैक्स क्या भरा हुआ है...इंकम टैक्स .....
बात काट के पापा चिल्लाए......
चुप कर.....तू तो बच्चा है .... अक्ल का कच्चा है...
तू क्या जाने , समझेगा कैसे.....
दसवीं में पढ़ता हूँ , कुछ कुछ समझ रहा हूँ
सहमा सहमा सा बेटा समझ न पाया
पापा क्यों चिल्लाए...
मुझसे बोला, माँ सीख हमेशा देतीं तुम कहती हो
अपने को बदलो....बदलाव नया इक आएगा....
बदलेगा सब कुछ बाहर भी........
अनशन पर बैठे अन्नाजी क्या सब कुछ बदल सकेंगे.....
अनशन खत्म हुआ तो भी क्या कुछ बदलेगा..... !!!!!
सोच रही हूँ बस...... बस सोच रही हूँ ........ !
इक दिन ऐसा आएगा जब होगा भष्ट्राचार खत्म ....
होगा लोकपाल बिल पास, बंद होगा बेईमानी का खेल
भ्रष्टाचारी नेता जाएँग़ें जेल, जनता में जागी इक आस......
टीवी के हर चैनल में खबर यही थी...
अखबारों में भी चर्चा इसकी थी......
बेटा टीवी देख रहा था, सोच में अपनी डूब रहा था...
पापा से बोला.....
बिजली पानी का मीटर डायरेक्ट लगा है....
गेट हमारा सरकारी सड़क पर बना है....
हाउसटैक्स क्या भरा हुआ है...इंकम टैक्स .....
बात काट के पापा चिल्लाए......
चुप कर.....तू तो बच्चा है .... अक्ल का कच्चा है...
तू क्या जाने , समझेगा कैसे.....
दसवीं में पढ़ता हूँ , कुछ कुछ समझ रहा हूँ
सहमा सहमा सा बेटा समझ न पाया
पापा क्यों चिल्लाए...
मुझसे बोला, माँ सीख हमेशा देतीं तुम कहती हो
अपने को बदलो....बदलाव नया इक आएगा....
बदलेगा सब कुछ बाहर भी........
अनशन पर बैठे अन्नाजी क्या सब कुछ बदल सकेंगे.....
अनशन खत्म हुआ तो भी क्या कुछ बदलेगा..... !!!!!
सोच रही हूँ बस...... बस सोच रही हूँ ........ !
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