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शनिवार, 16 अप्रैल 2011

स्मृति-दंश














ख़ाली आँखें
रेगिस्तान अपार
वीरानापन

पीछा करती
सपनों के हैं साए
छूना है बस

स्वप्न सलोना
पा लूँगी इक दिन
विश्वास भरा

खुश्बू प्यार की
महकते हैं प्राण
खिला जीवन

स्वर्णिम पल
मिलन अलौकिक
स्मृति-दंश



शुक्रवार, 15 अप्रैल 2011

फिर जन्मे कुछ त्रिपदम (हाइकु)














शब्दों की कमी
समझ लेंगे सब 
भाव है मुख्य 

सपना प्यारा
मुख मासूम दिखा
भूल न पाऊँ 

बाँहों का घेरा
है मनचाही कैद
न्यारा बंधन

जादुई हाथ 
चाह स्पर्श की जागी
हरते पीड़ा 

प्यासे अधर 
अमृत रसपान
तृष्णा मिटती 


मंगलवार, 12 अप्रैल 2011

मेरे त्रिपदम (हाइकु)

क्षमा चाहिए
त्वरित वेग था वो
बाँध लिया है

होती गलती
सुधार भी संभव
आधार यही

नित नवीन
सोच के फूल खिलें
महकें बस

दम घुटता
तोड़ दे पिंजरे को
मन विकल


कल न पड़े
मन-पंछी आकुल
उड़ना चाहे



शनिवार, 9 अप्रैल 2011

अपने को बदलो....बदलाव नया इक आएगा....

अन्नाजी अनशन पर बैठे सपना सुन्दर लेकर

इक दिन ऐसा आएगा जब होगा भष्ट्राचार खत्म ....

होगा लोकपाल बिल पास, बंद होगा बेईमानी का खेल

भ्रष्टाचारी नेता जाएँग़ें जेल, जनता में जागी इक आस......


टीवी के हर चैनल में खबर यही थी...

अखबारों में भी चर्चा इसकी थी......

बेटा टीवी देख रहा था, सोच में अपनी डूब रहा था...

पापा से बोला.....

बिजली पानी का मीटर डायरेक्ट लगा है....

गेट हमारा सरकारी सड़क पर बना है....

हाउसटैक्स क्या भरा हुआ है...इंकम टैक्स .....

बात काट के पापा चिल्लाए......

चुप कर.....तू तो बच्चा है .... अक्ल का कच्चा है...

तू क्या जाने , समझेगा कैसे.....

दसवीं में पढ़ता हूँ , कुछ कुछ समझ रहा हूँ

सहमा सहमा सा बेटा समझ न पाया

पापा क्यों चिल्लाए...


मुझसे बोला, माँ सीख हमेशा देतीं तुम कहती हो

अपने को बदलो....बदलाव नया इक आएगा....


बदलेगा सब कुछ बाहर भी........



अनशन पर बैठे अन्नाजी क्या सब कुछ बदल सकेंगे.....

अनशन खत्म हुआ तो भी क्या कुछ बदलेगा..... !!!!!


सोच रही हूँ बस...... बस सोच रही हूँ ........ !