प्राणों का दीप जलने दो
जीवन को गति मिलने दो !
विश्व तरु दल को न सूखने दो
वसुधा को प्रेमजल सींचने दो !
विषमता का शूल न चुभने दो
जीवन-पथ को निष्कंटक करने दो !
अनिल से अनल को मिलने दो
प्रचंड रूप धारण करने दो !
सिन्धु-सरिता की सुषमा बढ़ने दो
धरा-अंबर की शोभा निखरने दो !
घन-चंचला कुसुम खिलने दो
विश्व उद्यान माधर्य बढ़ने दो !
प्राणों का दीप जलने दो
जीवन को गति मिलने दो !!
