सृष्टि को रूप नया दे दो !
कब तक निश्चल पड़े पड़े
देखोगे कब तक खड़े खड़े !
हे प्राण .....................
उठो उठो हे सोए प्राण
आँखें मूँदे रहो न प्राण !
हे प्राण .................
मानवता का संहार है होता
वसुधा मन पीड़ा से रोता !
हे प्राण ....................
कृतिकार के मन का रुदन सुनो
विश्व की करुण पुकार सुनो !
हे प्राण .....................
हे प्राण मेरे, आँखें खोलो
सृष्टि को रूप नया दे दो !!