कुछ डगमग डगमग करते हुए विचार घेर लेते हैं तो उदास मन मंथन करते हुए बहुत कुछ सोचने लगता है । स्वयं को एक मुर्दा झील सी समझ कर ठहर जाता है । उस वक्त किसी की भी कही गई बात ठहरे पानी में गिरते पत्थर सी लगती है और गोल गोल भंवर जैसे हलचल करने लगते हैं दिल और दिमाग में । ऐसे में किसी की बात की गहराई को समझने के लिए मन को वश में करना जरूरी होता है और तब मन शांत हो जाता है ।
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