मेरी यादों की गुल्लक में आज भी सालों पुराने ड्राफ्ट ताज़ा हैं. जैसे कल की बात हो जब ड्राइविंग लाइसेंस 
मिलने पर सबने दावत माँगी थी. दुबई में लाइसेंस मिलना आसान नहीं और मिल जाए तो फिर ड्राइविंग 
स्कूल में भी मिठाई बाँटनी पड़ती है. दस साल पहले तुकबन्दी की थी जो आज साझा करने को जी चाहा. 
मुझे रात दिन ये ख्याल है 
लाइसेंस मुझको मिलेगा कब
मुझे रात दिन ये ख्याल है 
लाइसेंस मुझको मिलेगा जब 
दिन रात नाचूँगी मै तो तब 
लाइसेंस मुझको मिलेगा जब 
टेस्टों का ज़ालिम ये सफ़र
कहीं कर न डाले दर बदर 
मुझे रात दिन ये ख्याल है 
लाइसेंस मुझको मिलेगा कब 
मुझे रात दिन ये ख्याल है
कैसे सँभालूँ मै दिल को अब
बिलाहासा हँसता रुलाता है 
ट्रैनिंग को जब भी मैं जाती हूँ 
टीचर के संग ड्राइवर के संग 
रिश्ते अनोखे बने है अब 
एग्ज़ामिनर हमारे अजूबे है 
हँसना उन्हे आता है कब 
हथकन्डे वो अपनाते है जब 
नर्वस सभी हो जाते है तब
 पिया को कहूँगी मैं तो तब
प्यारी 'पैजो' दिला दो अब
प्यारी 'परैडो' दिला दो अब
लाइसेंस मुझको मिला है अब
मुझे रात दिन ये ख्याल है
सब कुछ अभी भी याद है ! 
 
 
4 टिप्पणियां:
Very Nice Poem !
Dynamic
Computer Science
दुबई की यादें और ख़ास कर लाइसेंस की जद्दोजेहद ...
मस्त रचना भी बन गयी साथ ही ... नमस्कार जी ...
शुक्रिया @मनोज @नासवाजी , दुबई की कुछ यादें तो बहुत खास हैं...
अरे वाह ....
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