प्यारी सी बेटी न्यूशा |
चंचल नैन
हर पल उड़ते हैं
पलकें पंख
गुलाबी से हैं
आज़ादी के नग़में
सुरीले सुर
खुतकार सी
ये उंगलियाँ रचें
तस्वीर नई
वीरान पथ
निपट अकेली मैं
कोहरा गूँगा
नीले सपने
गहरे भेद भरे
विस्तार लिए
साकी सा यम
मौत अंगूरी न्यारी
रूप खिलेगा/नशा चढ़ेगा/मोक्ष मिलेगा
मुत्यु प्रिया सी
इक दिन आएगी
गले मिलेंगे
(खुतकार=पेंसिल)
12 टिप्पणियां:
आह कितने दिनों बाद आपके त्रिपद्मों से मुलाकात हुई है । बहुत ही सुंदर ..चित्रों के सामंजस्य ने इनकी खूबसूरती और बढा दी है । बहुत सुंदर दी ..........शुभकामनाएं
खूबसूरत है जी। सब कुछ! :)
खूब.. बहुत दिनों बाद कुछ अच्छा पढ़ा है..
सुन्दर !
खुतकार पहली बार पढ़ा... बहुत सुंदर त्रिपदम।
सशक्त अभिव्यक्ति----हमेशा की तरह|
शब्दों का खेल
कवितामय बात
मन का इज़हार .... !!
बहुत अच्छी प्रस्तुति .
ऊपर की कुछेक हाइकू की संप्रेषणीयता(अथवा मेरी बोधगम्यता) थोड़ी कम प्रतीत होती है। अंतिम दो हाइकू उद्धृत करने योग्य।
बहुत ही बढ़िया त्रिपदम
एक नए शब्द से परिचय भी...आभार
आपका सबका बहुत बहुत शुक्रिया...
@कुमारजी..कुछ और् विस्तार से कहते तो अच्छा लगता.. वैसे अंतिम दो हमे खुद भी बेहद पसन्द है..
बहुत अच्छा!
मीनाक्षी जी ,
नमस्कार !
आपके ब्लाग पर पहली बार आना हुआ . बहुत अच्छा लिखती हैं आप !
आपके सभी हाइकु काबिले - तारीफ हैं ...दिल को छु गए !
आपको हाइकु परिवार से मिलवाती हूँ मैं आज ...हमको ख़ुशी होगी अगर आप भी इस परिवार का हिस्सा बनना चाहेंगी !
पता है .....http://hindihaiku.wordpress.com
आभार
हरदीप सन्धु
(http://shabdonkaujala.blogspot.com)
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