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बुधवार, 22 अप्रैल 2009

ज़िन्दगी के फलसफ़े



पड़ोस में दीपा जी रहती हैं जिनके दोनों बच्चों की शादी हो चुकी है. दोनो बच्चे अपने-अपने घर संसार में खुश हैं. दीपाजी का दिल और दिमाग अब एक नए तरह के खालीपन से भरने लगा. बरसों से घर गृहस्थी को ईमानदारी से निभाते निभाते वे अपने आप को भूल चुकी थी. उस खालीपन को भरने के लिए उनके पतिदेव नें उन्हें एक एनजीओ में ले जाने का इरादा कर लिया. घर से बाहर निकलते ही जब इतने लोगों को ज़िन्दगी के अलग अलग दुखों का सामना करते देखा तो अपना खालीपन एक भ्रम सा लगने लगा. अब उन्हें एक लक्ष्य मिल गया और उसे पूरा करने की ठान ली, बस फिर क्या था चेहरे पर एक अलग ही चमक दिखने
लगी, उनके चेहरे की चमक से उनके जीवनसाथी का चेहरा भी खुशी से दमकने लगा. दीपाजी की बातों से लगता है कि उनके पास ढेरों ऐसे अनुभव है जिन्हें वे हमसे बाँट सकती हैं... बस हमने उन्हें ब्लॉग़ बनाने की सलाह दे डाली. नया ब्लॉग़ बनाया गया ‘ ज़िन्दगी के फलसफ़े’ वरुण ने हिन्दी का एक प्रोग्राम उनके लैपटॉप में डाल दिया। अगली शाम जब उन्होंने हिन्दी में टाइप किया हुआ एक छोटा सा पैराग्राफ पढ़ने को दिया तो हम हैरान रह गए। 24 घंटे के अन्दर उन्होंने बहुत अच्छी तरह से हिन्दी टाइपिंग सीख ली थी. फिर तो एक के बाद एक तीन पोस्ट डाल दीं गईं. हिन्दी टाइपिंग जितनी आसानी से सीखी , विश्वास है कि उतनी ही जल्दी वे स्वयं अपने ब्लॉग को तकनीकी रूप से सजाना भी सीख लेंगी.


एक विशेष बात जिसने मन मोह लिया। दीपाजी की बेटी और दामाद दुबई में रहते हैं। दीपाजी का ब्लॉग़ देखकर दोनों बच्चों ने हिन्दी टाइपिंग सीखकर टिप्पणी हिन्दी में ही की... अपने बच्चों द्वारा प्यार और आदर के छोटे छोटे ऐसे उपहार जीने का आनन्द दुगुना कर देते हैं.

19 टिप्‍पणियां:

अविनाश वाचस्पति ने कहा…

नेक कार्य

हिंदी को बिंदी से आगे
रेखा बनाने का
श्‍लाघनीय उपक्रम।

रंजू भाटिया ने कहा…

पढ़ा था कल इनका ब्लॉग अच्छा लगा पढ़ कर ...बहुत सारे अनुभव पढने की मिलेंगे क्यों की ब्लॉग का नाम ही बहुत अच्छा लगा मुझे ..ज़िन्दगी के फलसफे :) शुक्रिया

P.N. Subramanian ने कहा…

प्रोत्साहन से प्रेरित हुई. आपका आभार.

कुश ने कहा…

अपने बच्चों द्वारा प्यार और आदर के छोटे छोटे ऐसे उपहार जीने का आनन्द दुगुना कर देते हैं.कितनी प्यारी बात कही ना आपने..

mehek ने कहा…

aare waah bahut hi achhi baat huyi.deepa ji ko blog ke liye badhai

नीरज गोस्वामी ने कहा…

ज़िन्दगी की भाग दौड़ में हम अपनी क्षमताओं का आंकलन सही से नहीं कर पाते...आपने बहुत प्रेरक रचना लिखी है...
नीरज

Udan Tashtari ने कहा…

बहुत उम्दा कदम...दीपा जी का स्वागत है. क्या ब्लॉगवाणी और चिट्ठाजगत में रजिस्टर करवा दिया है उन्हें?

Gyan Dutt Pandey ने कहा…

एक नये ब्लॉगर का जुड़ना अच्छा लगा।

संगीता पुरी ने कहा…

बहुत अच्‍छा .. हम सब मिलकर नए नए लोगों को जोडना शुरू करें तो जल्‍द ही इंटरनेट पर हिन्‍दी समृद्ध हो सकती है .. किसी न किसी प्रकार के अनुभव तो सबके पास होते हैं .. अच्‍छा है हम एक दूसरे से बांटे।

Asha Joglekar ने कहा…

बहुत अच्छा लगा नये ब्लॉग और ब्लॉगर के बारे में जानकर । उनका ब्लॉग भी पढा भहुत अच्छा है ।

गौतम राजऋषि ने कहा…

दीपा जी से और उनके ब्लौग से मुलाकात करवाने का बहुत-बहुत शुक्रिया मीनाक्षी जी

अनिल कान्त ने कहा…

unka blog padha bahut achchha laga ...

पारुल "पुखराज" ने कहा…

swagat deepa ji ka...aap bahut dino baad niyamit likh rahi hain..aacchha lag raha hai di :)

डॉ .अनुराग ने कहा…

ओर कारवां बनता रहा...स्वागत है उनका .

vijay kumar sappatti ने कहा…

bahut hi sundar prastuti.. wah wah bahut hi prernadayak prasang ..

badhai


vijay
http://poemsofvijay.blogspot.com

admin ने कहा…

हिन्दी की अलख जगाने के लिए आपको हार्दिक बधाई।
----------
TSALIIM.
-SBAI-

उन्मुक्त ने कहा…

नये लोगों को जोड़ना अच्छा कदम है।

लावण्यम्` ~ अन्तर्मन्` ने कहा…

आपकी, दीपा जी से परिचय करवानेवाली ये पोस्ट अच्छी लगी वे इसी तरह लिखते रहेँ और आप् भी मीनाक्षी जी
चिठ्ठार्चाकर्ता कारोँ से जुडने के लिये भी बधाई व
शुभकामना + स्नेह, सहीत,
- लावण्या

MUKESH RAGHAV ने कहा…

TITLE OF BLOG ATTARACTED ME TO TO THROUGH.. A NICE THROUGHT .I FULLY AGREE WITH THE BLOGGER.