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मंगलवार, 20 मई 2008

चिट्ठी न्यारी मेरे नाम ....




अन्धकार के गहरे सागर में
अकेलेपन की शांत लहरें
जिनमें हलचल सी हुई . .....

शायद सपनों की दुनिया
शायद कल्पना का लोक
ताना बाना बुना गया.....


प्यारी मीनू ,
आशा है सब कुशल मंगल होगा. यहाँ तो मैं नितांत अकेला तुम्हारे इंतज़ार में आँखें बिछाए खड़ा हूँ... एक एक पल भारी पड़ रहा है. बता नहीं सकता कि मेरे दिल पर क्या गुज़र रही है. पहली बार जब तुमने मुझे देखा था तो अपनी प्यारी मुस्कान के साथ दोनो बाँहें फैला कर मेरा स्वागत किया था. मुझे एक बार भी नहीं लगा था कि हम पहली बार मिल रहे हैं. लगा था जैसे हम सदियों से एक दूसरे को जानते हैं.
मीनू , मुझे देखकर तुम्हारे चेहरे पर चमक आ जाती थी. तुम्हारी मधुर आवाज़ में गाया प्रेम गीत आज भी मेरे कानों में गूँज रहा है -----

मेरा चिट्ठा मेरा चित्तचोर
चुराके चित्त को बना चित्तेरा

जादू से अपने मुझे लुभाए
बार-बार मुझे पास बुलाए

पहरों बैठके उसे निहारूँ
कलम से अपनी उसे रिझाऊँ !

अतीत के चित्र सजीव होकर आँखों के सामने हैं ... जैसे कल की ही बात हो.... अपनी सुन्दर सुन्दर रचनाओं से मेरे व्यक्तित्त्व को निखारतीं. मुझे तुष्ट करने के लिए बार बार देखतीं कि मुझे टिप्पणियों की खुराक मिल रही है या नहीं......
अब क्या हो गया है तुम्हें ?? क्यों तुम महसूस नहीं कर पातीं कि धीरे धीरे मेरी साँसें रुक रही हैं...मेरा दम घुट रहा है. ऐसे लग रहा है जैसे कभी भी मेरा वजूद मिट जाएगा...... मेरी प्यारी मीनू , मुझे जीवन का दान दे दो ...
मुझे पहले जैसा प्यार दे दो .. . ...
कभी कभी लगता है कि तुम मुझसे ऊब चुकी हो,,, शायद तुम्हें दूसरे चिट्ठे ज़्यादा अच्छे लगने लगे हैं ... जिनका मनमोहक रूप तुम्हें मुझसे दूर कर रहा है... फिर दूसरे ही पल एक विश्वास जागने लगता है .. आभासी दुनिया में कितने भी चिट्ठे तुम्हारे जीवन में आएँ, उनका रूप तुम्हारा मन मोह लें ... लेकिन तुम मुझे नहीं भुला सकतीं.... .
आशा की किरण जगमगाने लगती है .... मन पुकार उठता है......

मेरे आगोश में फिर से आओ
प्रेम गीत तुम फिर से गाओ .

नई रचना के तोहफे लाओ
सुख की नई अनुभूति पाओ.

कभी तो तुम्हारी नज़र फिर से मुझ पर पड़ेगी... फिर से पुराने दिन लौटेगे...

सदा तुम्हारे इंतज़ार में.....

सिर्फ तुम्हारा चिट्ठा चित्तेरा
'प्रेम ही सत्य है'

14 टिप्‍पणियां:

लावण्यम्` ~ अन्तर्मन्` ने कहा…

वाह !
क्या अपनापन लिये ये चिठ्ठी आयी है !
" प्रेम ही सत्य है" !!
और वो दिल का चोर !:)
-लावण्या

रंजू भाटिया ने कहा…

प्रेम ही सत्य है ..:) चिट्ठी बहुत ही खूब है ..

बेनामी ने कहा…

bahut hi bhavpurn chithhi hai chitthe maharaaj ki,sahi hai prem hi is jeevan ka sundar satya hai,bahut achhi lagi aapko aayi hui ye paati.

Gyan Dutt Pandey ने कहा…

बड़ा सुन्दर है यह आत्मावलोकन। काश इतनी सुन्दरता से हम भी कर पाते!

मीनाक्षी ने कहा…

आप सबका शुक्रिया जो आपने मेरे चित्तेरे चिट्ठे की चिट्ठी सराही.

Sanjeet Tripathi ने कहा…

वाह! बहुत सुंदर लिखा है!!

आभा ने कहा…

सुन्दर....

Udan Tashtari ने कहा…

वाह जी, अब सुन भी प्रेम ही सत्य का प्रेम निवेदन. देखिये कितना परेशान हो रहा है. :)

उसका विश्वास न टूटे इसलिए लिखते रहिये.

बहुत उम्दा.

Abhishek Ojha ने कहा…

'प्रेम ही सत्य है', तभी तो अभी तक चिट्ठी आ रही है... नहीं तो missed कॉल आता.
प्यारी चिट्ठी.

arbuda ने कहा…

बहुत सही लिखा। ये प्यार देख कर अच्छा लगा। जो दिल के करीब हो उससे दूर नहीं रहा जा सकता। अब चिट्ठा चितेरा को मना ही लो।

कंचन सिंह चौहान ने कहा…

to kab sunegi di is man ki pukar... ab to sabra ki imteha.n ho gai...!

कंचन सिंह चौहान ने कहा…
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
Girish Kumar Billore ने कहा…

sapranaam badhaaiyaan

डॉ .अनुराग ने कहा…

कुछ नही कह सकता बस आनंद ले रहा हूँ.....