चिट्ठा चित्तेरा
पुकारे बार-बार
लौटी फिर से
मन मोहता
मधुशाला का साकी
बहके पग
गहरा नशा
डगमग पग हैं
बेसुध मन
कलम चली
शब्दों को पंख लगे
उड़ते भाव
लो आया ग्रीष्म
जला, तपा भभका
सन्नाटा छाया
बरसे आग
जले धरा की देह
दहका सूरज
लू का थपेड़ा
थप्पड़ सा लगता
बेहोशी छाती
प्यास बुझे न
जल है प्रेम बूँद
तरसे मन
खुश्क से पत्ते
पैरों तले चीखते
मिटे पल में
13 टिप्पणियां:
गहरा नशा
डगमग पग हैं
बेसुध मन
कलम चली
शब्दों को पंख लगे
उड़ते भाव
बहुत बढ़िया हाइकू.. सुबह सुबह पढ़े ... दिन बना दिया आपने.. बधाई...
लू का थपेड़ा
थप्पड़ सा लगता
बेहोशी छाती
प्यास बुझे न
जल है प्रेम बूँद
तरसे मन
bahut gehre bhav in mein,har haiku lajawab,ye do sabse jyada pasand aaye.bahut bahut sundar.
-१-
पढ़े हाईकु
मजेदार हैं सब
वाह जी वाह
-२-
फिर लिखना
और हमें सुनाना
मजा आयेगा.
हर लाइन एक से बढ कर एक हे, मुझे बहुत अच्छी लगी आप की यह कविता, धन्यावद
सुंदर लगे
तृप्त सा हो
मन मेरा
कुश, महक और राजजी आप सबका शुक्रिया...
समीरजी आपके हाइकु लाजवाब तो संजीतजी का भाव.
लो आया ग्रीष्म
जला, तपा भभका
सन्नाटा छाया
बरसे आग
जले धरा की देह
दहका सूरज
लू का थपेड़ा
थप्पड़ सा लगता
बेहोशी छाती
ye teeno haiku behad pasand aaye.....haiku likhna apne aap me ek khasi mashakkat hai.
शब्द तो एक ज़रिया है
दर असल बोल रहा है
मन
त्रिपदम तो सदा की तरह सशक्त है पर चित्र कहाँ है? बाल फोटोग्राफरो से कहे कि चित्र खीचे और माँ की मदद करे।
मीनाक्षी जी खुशी हुई यह जानकर कि आप भी दुबई मै ही है. आपकी कविताओ मै बहुत गहराइ है,पढ्ने के बाद सोच मै डूब गया हू. विद्युत की तस्वीरें बहुत अच्छी लगी. किरण,दुबई
@डॉ आर्या, 5-7-5 की तीन लाइनें लिखना कुछ ही समय में आसान लगने लगता है. आप शुरु तो करके देखें.
@संजयजी, सच कहा आपने...शब्द एक ज़रिया हैं जिसके सहारे हम मन की बात कह जाते हैं गर कोई समझे.
@पंकजजी, बेटे ने अगली बार चित्र देने का वादा किया है.
@किरणजी, जानकर अच्छा लगा कि आप भी दुबई में हैं. आप भी ब्लॉग लिखते हैं? नहीं तो शुरु कर दीजिए.
is garmi mein aapke ye halke phulke haikoo sheetalta de gaye.
आपके त्रिपदम तो कमाल होते ही हैं।
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