पुरानी यादों की चाशनी में नई यादों का नमक डाल कर चखा तो एक अलग ही स्वाद महसूस किया. जो महसूस किया उसे कविता की प्लेट में परोस दिया. आप भी चखिए और बताइए कि कैसा स्वाद है !
पढ़ने-लिखने वाले नए नए दोस्त हमने कई बनाए
दोस्तों ने ज़िन्दगी आसान करने के कई गुर सिखाए
उन्हें झुक कर शुक्रिया अदा करना चाहा
पर उनके अपनेपन ने रोक लिया.
दोस्त या अजनबी सबको सुनते और अपनी कहते
देखी-सुनी बेतरतीब सोच को भी खामोशी से सुनते
पलट कर हमने भी वैसा ही कुछ करना चाहा
पर मेरी तहज़ीब ने रोक लिया.
नई सोच को नकारते बैठते कई संग-दिल आकर
हैरान होते उनकी सोच को तीखी तंगदिल पाकर
हमने भी उन जैसा ही कुछ सोचना चाहा
पर आती उस सोच को रोक लिया.
सीरत की सूरत का मजमून न जाना सबने
लोगों पर तारीजमूद को बेरुखी माना हमने
सबसे मिलकर हमने भी बेरुख होना चाहा
पर हमारी नर्मदिली ने रोक लिया.
साथ चलने वालों से दाद की ख्वाहिश नहीं थी
तल्ख़ तंज दिल में न होता यह चाहत बड़ी थी
मिलने पर यह अफसोस ज़ाहिर करना चाहा
पर आते ज़ज़्बात को रोक लिया.
सोचा था चुप रह जाते दिल न दुखाते सबका
पर खुशफहमी दूर करें समझा यह हक अपना
सर्द होकर कुछ सर्द सा ही क़लाम लिखना चाहा
पर चलती क़लम को रोक लिया.
15 टिप्पणियां:
दी,चलती कलम न रोकियेगा कभी ……हमे सच मे दुख होगा……
बढिया ...मीनाक्षी जी ..कलाम को, और आपकी कलम को रोको नहीं ..
लिखती रहिये
रुकते रुकते हमने कविता पढ़ी पर आप कलम से कुछ गुनगुना कलाम लिखिये।
न रोकें कलम को
न टोकें मन को
बहने दें
चलने दें
अनवरत
बिना थके!!
ये नये किस्म का त्रि-त्रिपदम अच्छा लगा। :)
ओह...
ओह, अबाध-निर्बाध लिखें। ब्लॉग है ही इस लिये।
पूरा सच लिखा है… मनोवैज्ञानिक रचना पढ़कर अच्छा लगा…।
कई बार बहुत कुछ चाह कर भी हम स्व-अधीन हो जाया करते हैं…
वाह दो तीन बार घूम कर पढ़ा - तीन पंखुड़ी के फूल और ऊपर तुर्रम पर - पराग से भरा - अनूठा प्रयोग - [पर गुस्सा क्यों?] rgds - manish
चलती कलम को रोका ना जाये, चलते रहने दिया जाय, बहुत खूब
कलम की घनघोर ताकत
की धनी है आप
चाहेंगी तो भी न रूकेगी
न झुकेगी कभी आपकी कलम.
रूक गई तो
हमारी आंखें होंगी नम.
- अविनाश्ा वाचस्पति
har bhav aate hai.n man me.n unhi me se ek bhav darshati sundar rachana
आप सबकी टिप्पणियाँ एक ऊर्जा देती सी दिख रही हैं..बहुत बहुत शुक्रिया.
@मनीष जी, गुस्सा शायद अपने पर ही होता है..क्यों हम अपने मन को बन्धन में बाँध देते हैं.
mat rokiye kalam ko....
wahhhhhhhhhh
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