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गुरुवार, 1 नवंबर 2007

हाईकू : चित्रों में


कटते वृक्ष
ज़मीन सिसकती
गहरी पीड़ा.





पिचका पेट
भूख से धँसी आँखें
भविष्य ज़र्द




विवशता थी
दायरों का घेरा है
बँधना ही था.





युद्ध की आग
बिलखे बचपन
कुछ न सूझे.



(गूगल द्वारा चित्र)

12 टिप्‍पणियां:

  1. मीनाक्षी जी बेहतर चिंतन प्रस्‍तुत करती हैं आप मन को झकझोरती तस्‍वीरें ।

    'आरंभ' छत्‍तीसगढ राज्‍य स्‍थापना दिवस की शुभकामनायें

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  2. कहीं भीतर तक उद्वेलित करते हैं ये चित्र.
    शब्द का संगसाथ इन चित्रों को और मार्मिक बनाता है. अच्छा लगा आपने चित्र सौजन्य प्रकाशित किया...यही नैतिकता अपेक्षित है पढ़ने-लिखने वालों से.

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  3. न २ भविष्य है ज़र्द और न ४ बिलखता बचपन --काऊन्टिंग में हाईकु गड़बड़ा रहा है. जरा बदल लें. सुन्दर झंकझोरते चित्र और हाईकु. बहुत बढ़िया.

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  4. व्यथित और प्रभावित - ये दो भाव आते हैं मन में। बहुत अच्छी प्रस्तुति।

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  5. आप सबका धन्यवाद ! समीर जी , बहुत अच्छा लगा, असल मे हम सुधार कर चुके थे लेकिन सिर्फ डायरी में. लापरवाही के लिए क्षमा.

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  6. आप तो पारंगत है इस विधा मे। वैसे हाइकू के लिये देशी शब्द क्या है?

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  7. अभिनव प्रयोग । हाइकू चित्र को भावको अभिव्यक्त करती हई एक छोची कविता परंतु सके नियम क्या हैं । जरा बताइयेगा ।

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  8. correction. pl read
    हुई, छोटी,इसके

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  9. आप सबकी आभारी हूँ कि आप सबने सराहा.
    आशा जी 26 अक्टूबर को मेरे पहले हाइकू ने जन्म लिया और उसके बाद तो अच्छा लगने लगा. नियम जो मुझे बताए गए, वे ऐसे हैं कि पहली और अंतिम पंक्ति 5 वर्णों की और बीच की लाइन 7 वर्णों की आधे वर्ण को अगले पूरे वर्ण के साथ गिना जाता है. हर पंक्ति अपने आप में अपना स्वतंत्र अर्थ लिए होती है लेकिन साथ ही साथ तीनों पंक्तियों का अपना एक अर्थ भी होता है. http://www.abhivyakti-hindi.org/rachanaprasang/2005/hindi_haiku.htm पंकज जी अनुभूति पत्रिका मे हाइकू के विषय मे विस्तार से लिखा है.

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  10. यह विधा मुझे हमेशा अपनी और आकर्षित करती है आपने बहुत ही सुंदर कहा है हर चित्र एक लिए

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  11. आपने एक अच्छा अनुपम प्रयोग किया है यह...

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