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मंगलवार, 30 अक्टूबर 2007

M.P. सिर्फ मध्य प्रदेश नहीं, 'मेरे प्यारे' भारत का ह्रदय है !

यह उन दिनों की बात है जब मैं रियाद के इंटरनेशनल इंडियन स्कूल में पढ़ाया करती थी. स्कूल की एक अध्यापिका का हम पर असीम प्रेम था और आज भी है. एक बार उन्होंने बड़े प्यार से एक दावत पर बुलाया , वहाँ पहुँच कर पता चला कि मध्य प्रदेश की एक एसोशियसन 'मिलन' की पार्टी चल रही है. हमें वहाँ देख कर सभी जानने के लिए उत्सुक हो उठे कि हम उस 'मिलन' की पार्टी में पहुँचे कैसे ! इसके पीछे उनके मन में हमारे लिए न कोई दुराव था न बैर-भाव , यह हम जानते थे. कुछ चेहरे चमक उठे और कुछ भावहीन से हो गए.
पता नहीं क्यों हमें ही कुछ अटपटा सा लगने लगा था कि मध्य प्रदेश में न जन्में, न शिक्षा पाई , न ससुराल फिर हम इस एसोशिएसन की पार्टी में क्या कर रहे हैं. सब लोग इस बारे में पूछ रहे थे और हमसे कोई जवाब देते नहीं बन रहा था. हम दिल्ली मे जन्में, पले-बढ़े, पता चलने पर उनकी आँखों में प्रश्न चिन्ह सा दिखाई देता कि फिर यहाँ क्या कर रहे हैं !
क्या कहें कि हम कैसे किसी का प्रेम और आदर से दिया गया निमंत्रण ठुकरा दें.
शेरो-शायरी , खेल और भोजन के बाद हम वहाँ से निकले तो अपने आप ही दिल और दिमाग से कविता के रूप मे शब्द उमड़-घुमड़ करने लगे. आज इस घटना को याद करने का कारण संजीत जी की छत्तीसगढ़ पर लिखी पोस्ट और उस चार चाँद लगाती टिप्पणियाँ हैं. अब छत्तीसगढ़ अलग अंग है लेकिंन सन 2000 से पहले मध्य प्रदेश का ही अंग था और मध्य प्रदेश भारत में ...भारत हमारा, तो मध्य प्रदेश भी प्यारा और अब छत्तीसगढ़ भी प्यारा है.

M.P. सिर्फ मध्य प्रदेश नहीं
'मेरे प्यारे' भारत का ह्रदय है !

M.P. सिर्फ वहाँ के लोगों का नहीं
'मेरा प्यारा' प्रदेश सबका अपना है !

एम पी हमारा जन्म स्थल नहीं
एम पी हमारा कर्म स्थल नहीं !

एम पी प्यारा फिर भी हम सबका है
एम पी प्यारा भारत का अपना है !

इसलिए

अपनी बाँहो का घेरा बढ़ा लो
अपने आँचल की स्नेही छाया दो !

हर मानव को प्यार से अपना लो
'मिलन' को प्यारा दुलारा बना दो !

क्योंकि

मिलन होगा जब यहाँ मानव मानव का
मिलन होगा जब यहाँ भाषा भाषा का !

मिलन होगा जब यहाँ भिन्न धर्मो का
मिलन होगा जब यहाँ की जातियों का !

मन पपीहा(M.P) तब मस्त होगा सभी का
मुख प्यारा (M.P) तब खिल उठेगा सभी का !

मधु प्याला(M.P) प्रेम-रस का मिलेगा सभी को
मीत प्यारे(M.P) तब मिलेगे हम सभी को !!

11 टिप्‍पणियां:

  1. एकदम सही कहा आपने, जिस दिन लोग अपने अपने प्रांत, राज्य की बात करना छोड़, पूरे देश के हर व्यक्ती पर स्नेह वर्षा करेगे और मन से उन्हें अपनायेगे, बहुत सारे टन्टे खतम हो जायेंगे। हमें तो भारत का हर कोना अपना लगता है और हर भारतीय अपना सगा। भगवान करे कि हमारी सोच और विस्तृत हो और कल हमें धरती का हर प्राणी अपना लगे।

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  2. मध्य प्रदेश एक सुखद अहसास है
    मन का प्रदेश सचमुच मेरे पास है

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  3. मध्यप्रदेश में तो पिछले साल चक्कर लगाया था नागपुर से पंचमढ़ी जाने के दौरान। लोग अच्छे लगे पर सड़कें थोड़ा झटका जरूर दे गईं।

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  4. मीनाक्षी जी, आपके एम पी के प्रति आदर व सम्‍मान को मेरा प्रणाम ।

    छत्‍तीसगढ ब्‍लाग धूम पर आपकी सुन्‍दर प्रतिक्रिया के लिए धन्‍यवाद ।

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  5. मेरे प्रदेश मध्य-प्रदेश का मान बढ़ाने के लिये अनेक आभार मीनाक्षी दीदी.

    सिपरा,चंबल,नर्मदा कहतीं कथा अशेष
    सबसे प्यारा है मेरा अपना मध्यप्रदेश

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  6. अरे, वाह मेरे मध्य प्रदेश का यह विस्तार देख मन बाग बाग हुआ जाता है. मध्य प्रदेश की हर बात निराली.

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  7. साधुवाद!!
    बहुत बढ़िया लिखा आपने!!

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  8. मीनाक्षी जी,

    मैंने आपके विषय में केवल दस पन्द्रह दिनों पहले जाना जब आपने मेरे चिट्ठे 'धान के देश में' "पर मेरे पूज्य पिता स्व. श्री हरिप्रसाद अवधिया की रचना 'गीत' पर टिप्पणी की। अपनी टिप्पणी में आपने तारीफ ही की थी और तारीफ भला किसे अच्छा नहीं लगाता, अतएव मुझे भी अच्छा लगा। पर उससे भी अधिक अच्छा लगा कि आज भी, जब हमारे अधिकतर लोग अपनी संस्कृति, संस्कार, साहित्य आदि सभी को भूल चुके हैं, तो भी कुछ लोग तो हैं जो छायावाद, रहस्यवाद जैसी भी कोई वस्तु होती है, यह जानते हैं। आपकी टिप्पणी पढ़ कर मुझे पूर्णतः विश्वास हो गया कि आप अत्यंत विदुषी हैं।

    आज आपके चिट्ठे "प्रेम ही सत्य है" में आपके विचार पढ़ कर मेरी आपके प्रति धारणा और अधिक दृढ़ हो गई क्योंकि आपने उसमें लिखा है कि "मध्य प्रदेश में न जन्में, न शिक्षा पाई , न ससुराल फिर हम इस एसोशिएसन की पार्टी में क्या कर रहे हैं ?" आपका यह लेख सिद्ध करता है कि भले ही आपका जन्म, शिक्षा, ससुराल से मध्यप्रदेश किसी भी प्रकार से सम्बंधित नहीं है फिर भी आपको मध्यप्रदेश से मोह है।

    किन्तु मीनाक्षी जी, आप भूल गईं कि (आपके ही अनुसार) जब आपका मध्यप्रदेश से किसी भी प्रकार सम्बंध न होते हुये भी उससे मोह हो सकता है तो छत्तीसगढ़ से जिनका सभी प्रकार से सम्बंध है उन लोगों का भला छत्तीसगढ़ से मोह क्यों न होगा और वे अपने प्रदेश का गुणगाण क्यों न करेंगे? यहाँ पर मैं यह बता देना उचित समझता हूँ कि मैं भी छत्तीसगढ़ का एक बेटा हूँ इसीलिये मुझे आपका यह लिखना चुभ गया कि "आज इस घटना को याद करने का कारण संजीत जी की छत्तीसगढ़ पर लिखी पोस्ट और उस चार चाँद लगाती टिप्पणियाँ हैं. अब छत्तीसगढ़ अलग अंग है लेकिंन सन 2000 से पहले मध्य प्रदेश का ही अंग था", आप ये सब लिखते समय भूल गईं कि सन् 1956 के पहले मध्यप्रदेश का भी अस्तित्व नहीं था और वह भी 'सेंट्रल प्राव्हिंसेस' का एक अंग था. उसी 'सेंट्रल प्राव्हिंसेस' का जो हमारे राष्ट्र भारत अंग था और मध्यप्रदेश भी उसी 'सेंट्रल प्राव्हिंसेस' का ही अलग हुआ हिस्सा था।

    यहाँ पर मैं केवल आपकी ही समीक्षा न करके मेरे बन्धु संजीव तिवारी जी से भी पूछना चाहूँगा कि उन्होंने आपकी एक टिप्पणी को समस्त लोगों के सामने आने से क्यों वंचित कर दिया।

    आपकी दूसरी टिप्पणी के अंश "देश-प्रदेश के प्रति प्रेम देख कर बहुत कुछ पुराना याद आ गया.. !" को पढ़ कर लगा कि आपको बहुत कुछ पुराना याद तो आया पर सिर्फ, जैसा कि पहले ही लिख चुका हूँ, सन् 1956 के पहले जमाना ही याद नहीं आया।

    रही बात:

    M.P. सिर्फ मध्य प्रदेश नहीं
    'मेरे प्यारे' भारत का ह्रदय है !

    जैसी कविता की, तो मैं भी इसके प्रतिउत्तर में लिख सकता हूँ -

    "CG सिर्फ छत्तीसगढ़ नहीं
    'मेरे प्यारे' भारत का गौरव है !"

    और इसके अलावा भी बहुत कुछ लिख सकता हूँ।

    हाँ छत्तीसगढ़ 'मेरे प्यारे' भारत का कैसे गौरव है जानना चाहती हैं तो मेरा चिट्ठा "मेरा छत्तीसगढ़" (http://mychattisgarh.blogspot.com) पर भी एक नजर डाल लीजिये।

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  9. आज अचानक इस पोस्ट पर नज़र पड़ी।
    बहुत अच्छा लगा। आपकी भावनाएं हमें भावुक कर गई।
    अभी मप्र की असली खोज होनी बाकी है। संभवतः देश का यही हिस्सा ऐसा है जो इलाकाई सोच से दूर है। यहां के लोग मस्त है क्योंकि देशभर से आकर बसे हैं।
    शुक्रिया...

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  10. wow Didi... thank u so much for telling me about this poem... n giving a very sweet discription with sweet names of your MP...

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