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बुधवार, 19 नवंबर 2025

करनी का फल ( धंवंतरि)



नगर के बाहर जंगल था. उसी जंगल में एक भयानक राक्षस रहता था. लोग उस राक्षस के डर के कारण दूसरे नगर या गाँव में नहीं जा सकते थे. एक बार एक अंजान मुसाफिर उस नगर मे आया. वह उसी जंगल मे से गुज़र ही रहा था कि भयानक राक्षस के साथियो ने उसे देख लिया. उन्होने उस मुसाफिर को मारने की कोशिश की परंतु वह खुद मर गए. भयानक राक्षस को गुस्सा आ गया वह और साथियो को लेकर मुसाफिर के पास गया . मुसाफिर ने कहा...क्या तुम ही भयानक राक्षस हो? भयानक राक्षस ने कहा . हाँ मै ही वही राक्षस हूँ . मुसाफिर ने उस राक्षस के साथियों को भी मार दिया . मुसाफिर बोला. क्या यही है तुम्हारी प्रजा.?
भयानक राक्षस बोला, 'चुप कर मूर्ख...मुसाफिर बोला, ' इतना गुस्सा अच्छा नहीं होता...राक्षस बोला, 'तुम्हारी मौत मेरे हाथो लिखी है...मुसाफिर बोला यह तो भगवान ही जानते हैं कि किस की मौत किस के हाथो लिखी है. भयानक राक्षस उस मुसाफिर पर तलवार से वार करता है और मुसाफिर भी राक्षस पर टूट पड़ता है और राक्षस की तलवार से ही उसे मार डालता है.
भयानक राक्षस मरने से पहले कहता है कि तुम्हारे भगवान अच्छे है , मै बहुत बुरा हूँ मेरी और से अपने भगवान से मेरी गलतियो की माफी माँग लेना यह कह कर राक्षस मर जाता है.
शिक्षा -- इस कहानी से यह शिक्षा मिलती है कि हमे पाप नही करना चाहिए क्योकि पुण्य की पाप पर सदा जीत होती है... यह तो सभी जानते है.... फिर पाप क्यो करते हो.... जिस प्रकार भयानक राक्षस को अपनी गलती का एहसास हुआ उसी प्रकार तुम्हे भी अपनी गलती का एहसास होना चाहिए . बस यही मेरी तरफ से आप को शिक्षा है.....ऋषभ धंवंतरि


(प्रिय ऋषभ  आज 19 नवम्बर तुम्हारे जन्मदिन पर तुम्हारी लिखी एक कहानी को अपने ब्लॉग में फिर से पब्लिश कर रही हूँ जो अंबाला के अखबार में बहुत पहले छप चुकी है ) 



मंगलवार, 18 नवंबर 2025

डाक बक्सा ( To Letter Box)

To Letter Box 

तेरा लाल रंग कहीं पीला पड़ा 

तो कहीं काला और बदरंग हुआ 

और तू 

खाली खाली वीरान सा 

खामोश खड़ा 

शायद सोचता होगा 

एक दिन 

कोई तो आएगा और 

ज़ंग लगा ताला तोड़ कर 

फिर से आबाद कर देगा तुझे 

लो आज तुम्हारी तम्मना पूरी हुई 

आज सरहद को भुला कर 

एक मियां बीबी आए 

अपने  खत औ खिताबत के साथ 

प्यार मुहब्बत का पैगाम लेकर 

सरहद वागा भी जी उठा

डाकिया बन कर 

खतों  की खुशबू फैलाने लगा 

उनमें कहीं आंसुओं का खारापन 

तो कहीं इश्क की खुशबू महकने लगी 

यही नहीं हुआ डाक बक्से 

अनगिनत एहसासों में डूबे लफ़्ज 

भी जी उठे 

और छा गई रौनक तुझ पर 

सुर्ख हुआ समूचा वजूद तेरा 

हो सके तो बताना , एहसास कराना 

मुझे ही नहीं सारी कायनात को 

खतो  के जरिए मुहब्बत जगाना 

इसे कहते हैं 

खतो  के जरिए मुहब्बत जगाना 

इसे कहते हैं 


इंतज़ार में 

मीनाक्षी धन्वंतरि 


शुक्रवार, 8 नवंबर 2024

मैं हूं इक लम्हा

मैं हूं इक लम्हा 

मृत्यु अंधकारमय कोई शून्य लोक है 
या नवजीवन का उज्ज्वल प्रकाशपुंज है
या मृत्यु-दंश है विषमय पीड़ादायक
या अमृत-रस का पात्र है सुखदायक
तन-मन थक गए जब यह सोच
सोच 
तब मन-मस्तिष्क मे नया भाव
जागा 
मेरे पास सिर्फ एक लम्हा है
जो अजर-अमर है 
इस मृग-तृष्णा में जी लेने दो !!

रविवार, 11 अगस्त 2024

प्रेम ही सत्य है



 एक बार फिर उंगलियां हरकत में आईं और थिरकने लगीं ब्लॉग जगत की दुनिया में। अगस्त 2007 में ब्लॉग "प्रेम ही सत्य है" का जन्म हुआ था जो अब अपनी किशोर अवस्था में पहुंचा जो बहुत कुछ नया करने की चाहत रखता है तो आज अपने शब्दों को अपनी आवाज़ द्वारा आप से साझा कर रही हूं इस यकीन के साथ कि आपको पसंद आएगी ये नई कोशिश 




बुधवार, 7 अगस्त 2024

गहराई (Depth)


कुछ डगमग डगमग करते हुए विचार घेर लेते हैं तो उदास मन मंथन करते हुए बहुत कुछ सोचने लगता है । स्वयं को एक मुर्दा झील सी समझ कर ठहर जाता है । उस वक्त  किसी की भी कही गई बात ठहरे पानी में गिरते पत्थर सी लगती है और गोल गोल भंवर जैसे हलचल करने लगते हैं दिल और दिमाग में । ऐसे में किसी की बात की गहराई को समझने के लिए  मन को वश में करना जरूरी होता  है और तब मन शांत हो जाता है । 





 

Hummingbird

 प्रकृति से प्रेम करने वाला मानव ही मानव से प्यार कर सकता है, ऐसा मेरा विश्वास है इसलिए  मानव का प्रकृति से प्रेम होना बहुत जरूरी है।  घर के बगीचे या गमले में लगे फूल , उस पर बैठे  पक्षी, तितलियाँ, भंवरे और कभी कभी भूले भटकते hummingbirds को देख कर मन गदगद होकर कुछ इस तरह कह उठता - 












दूर हो पर दिल के करीब हो

 
कभी कभी जिस मित्र या सखी से हम बात करना चाहते हैं , वह हमसे दूर भागता है और हम दुखी होकर बैठ जाते हैं। किसी काम में दिल नहीं लगता और हम बेचैन हो जाते हैं लेकिन एक कड़वा सच ये भी है कि ज़िंदगी बहुत छोटी है जिसमें निराश हो कर ज़िंदगी से मुंह मोड़ लेना सही नहीं । जीवन चलने का नाम है या तो बिना कुछ मांगे प्यार करते रहो या आगे बढ़ कर नए रास्ते तलाश करो -