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तेरा लाल रंग कहीं पीला पड़ा
तो कहीं काला और बदरंग हुआ
और तू
खाली खाली वीरान सा
खामोश खड़ा
शायद सोचता होगा
एक दिन
कोई तो आएगा और
ज़ंग लगा ताला तोड़ कर
फिर से आबाद कर देगा तुझे
लो आज तुम्हारी तम्मना पूरी हुई
आज सरहद को भुला कर
एक मियां बीबी आए
अपने खत औ खिताबत के साथ
प्यार मुहब्बत का पैगाम लेकर
सरहद वागा भी जी उठा
डाकिया बन कर
खतों की खुशबू फैलाने लगा
उनमें कहीं आंसुओं का खारापन
तो कहीं इश्क की खुशबू महकने लगी
यही नहीं हुआ डाक बक्से
अनगिनत एहसासों में डूबे लफ़्ज
भी जी उठे
और छा गई रौनक तुझ पर
सुर्ख हुआ समूचा वजूद तेरा
हो सके तो बताना , एहसास कराना
मुझे ही नहीं सारी कायनात को
खतो के जरिए मुहब्बत जगाना
इसे कहते हैं
खतो के जरिए मुहब्बत जगाना
इसे कहते हैं
इंतज़ार में
मीनाक्षी धन्वंतरि