(चित्र गूगल के सौजन्य से)
उसका आज तो खुशहाल है फिर भी कहीं दिल का एक कोना खालीपन से भरा है.... 'दीदी, क्या करूँ ...मेरे बस में नहीं... मैं अपना खोया वक्त वापिस चाहती हूँ .... वर्तमान की बड़ी बड़ी खुशियाँ भी उसे कुछ पल खुश कर पाती हैं फिर वह अपने अतीत में चली जाती है.....
एक दिन अचानक अपनी डायरी लेकर मेरे सामने आ खड़ी हुई... उतरी हुई सूरत... उदास खुश्क आँखें... सूखे होंठ.....मेरे हाथ में अपनी डायरी थमा दी....उसके लिखे एक एक शब्द में मुझे गहरा दर्द महसूस हुआ... 'आपने कहा था न कि अपने दर्द को शब्दों के ज़रिए बह जाने दो ...मैंने लिखना शुरु कर दिया है... बड़ी मासूमियत से पूछने लगी... 'क्या आप अपने ब्लॉग में छापेंगी..?' क्यों नहीं...मेरा इतना कहते ही चहक उठी.... 'दीदी,,,,फिर तो मैं हर रोज़ आपको कुछ न कुछ लिख कर भेजूँगी पर मेरा नाम बदल देना ...' भरोसा पाकर उसे राहत मिली...
सुधा का अतीत लिखूँ लेकिन उससे पहले उसके वर्तमान को लिखना मुझे ज़रूरी लग रहा है क्योंकि मेरे विचार में दुखों के गहरे अन्धकार के बाद ही खुशियों का खूबसूरत उजाला होता है जिसे नकारना ग़लत होगा...
आजकल सुधा अपने पति के साथ कुवैत में रहती है...फिलहाल अभी विज़िट वीज़ा पर है... दो प्यारे से बेटे हैं. बड़े बेटे की शादी हो चुकी है जो अपनी पत्नी के साथ न्यूज़ीलैंड में रहता है .. दोनों बच्चे पढ़ाई और काम साथ साथ कर रहे हैं...पैसे के लिए दोनों ने ही कभी अपने माता-पिता के आगे हाथ नहीं फैलाया.. छोटा बेटा अभी कुँवारा है जो नौकरी की तलाश में दिल्ली रहने लगा है...घर चंडीगढ़ में है....छोटा सा घर है लेकिन अपना है.....
क्रमश:
5 टिप्पणियां:
age kee katha ka intjaar hain .
सुधा के वर्तमान से अतीत तक जाने की उत्सुकता है ...
अच्छा हुआ अन्धकार के पहले आपने उजाले की कहानी सुनाने का निर्णय लिया .
सुधा के साथ दुखी होंगे हम सब भी पर यह ख्याल रहेगा कि सुधा अब उबर चुकी है,
इंतज़ार अगली कड़ी का
make the post length a little bit long please because we never know when you will vanish
शुरुवात में ही सुधा का वर्तमान बताकर आश्वस्त किया कि खाली रात के बाद भी सुबह आती ही है ।
आगे पढती हूं ।
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