सभी ब्लॉग लिखती महिला को नेह निमन्त्रण हैं सौहार्द चर्चा मे आने का । मिलने का दिन रविवार ९ नवम्बर तय किया गया हैं । समय और स्थान पता करने के लिये रंजना भाटिया अथवा रचना सिंह से संपर्क करे । अब तक जिन लोगो की स्वीकृत मिल गयी हैं
अनुराधा मिनाक्षी सुनीता शानू मनविंदर रंजना भाटिया रचना
Is it for woman leaving at certain place? If so I hope full coverage will be here. One suggestion if possible please do complete videography of the meeting. In my opininon it is history making event. - Amita
Thats great, I have followed the Kavi Sammelan available as "Video In Internet" the first one, made a history in Internet, a Brave Heart Kavitri Sunita Shanoo.
Now it is great and pleasing news from you about the Nari Blogger. It is again a History in making from Delhi.
आजकल हम दिल्ली में हैं.....दुबई से चलते हुए मन में कई मंसूबे बाँधे थे कि भारत भ्रमण के बहाने ब्लॉगजगत की परिक्रमा ज़रूर करेंगे लेकिन यहाँ आकर दिन में तारे नज़र आने लगे... सबसे पहले तो एयरपोर्ट पर उतरते ही प्रीपेड टैक्सी के काउंटर पर ही मज़ेदार अनुभव हो गया... बात बहुत छोटी सी थी लेकिन माँ की डाँट ने सोचने पर लाचार कर दिया कि शायद गलती हो गई... एयरपोर्ट से वसंत कुंज के लिए 165 रुपए की रसीद काट कर 170 रुपए लेने वाले साहब से हमने 5 रुपए वापिस क्यों नही लिए .... सिस्टम को खराब करने का ज़िम्मेदार ठहरा दिया गया... घर के गेट के आगे पड़ोसी पानी के पाइप से खूब देर तक अपनी कार को स्नान कराते हैं,,,पिछवाड़े में पानी की टंकियाँ ओवर फ्लो होती दिखती हैं जिन्हें देखकर कुछ कह न पाने की विकलता का बयान कैसे करें नहीं जानते... पूरे देश में बहुत कुछ ऐसा हो रहा है जिसे हम चुपचाप देख सुन रहे हैं लेकिन कुछ न कर पाने की पीड़ा भी झेल रहे हैं..... किसी इंसान को अपने पालतू कुत्ते के साथ टहलते देखते ही मन में एक एहसास जागने लगता है कि काश अपने कुत्ते से प्यार करने वाला इंसान अपने आस पास के इंसानों को भी इतना ही प्यार दे पाता.... निराश होने की बजाय आशा का दीप जलाया जाए तो प्रकाश होगा ही... प्रेम, विश्वास और भाईचारे के भाव दिखने लगते हैं..... एक ड्राइवर लम्बे रास्ते से ले जाकर कि.मी. बढाकर पैसा ऐंठने की सोचता है तो दूसरा परिवार के सदस्य की तरह से हर तरह की मदद करने को तैयार दिखता है.... इसी प्यार और विश्वास ने बेटे वरुण को एक हकीम साहब के पास जाने को तैयार कर दिया... सालों से अंग्रेज़ी दवा लेने के बाद जड़ी बूटियों की दवा लेना आसान नहीं था... प्रेम और विश्वास चमत्कार कर देते हैं.... पिछले 4-5 दिन से बिना पेनकिलर लिए वरुण हैरान और परेशान है ... हमें आशा की एक किरण दिखाई देने लगी है कि अपने चमत्कारी देश का चमत्कार ज़रूर दिखाई देगा...
पिछले दिनों पहली बार दिल और दिमाग ब्लॉग जगत से पूरी तरह से आज़ाद था... एक नन्हें नटखट बच्चे में गज़ब का आकर्षण, जिसने अपनी मीठी प्यारी बातों से ऐसा मन मोह लिया कि बाकि सब भूल गया... हाथ जोड़कर नमस्ते करके सबका मन मोह लेता और अपनी सब बातें मनवा लेता...
हमसे वादा ले लिया कि अगली बार मिलने पर उसे राजकुमार आर्यान और
धर्मवीर जैसी ही पोशाक तोहफे में लाकर देनी है.
प्यार के रिश्तों में धर्म, देश , रहन-सहन, खान-पान और भाषा बाधा नहीं बनते... उत्तरी ईरान के अली और लिडा से दोस्ती ऐसी हुई कि अब परिवार का ही एक हिस्सा हैं.... पिछले दिनों लिडा अपने छोटे बेटे के साथ कुछ दिन रहने आई...... छोटा बेटा आर्यान तीन साल का है जो हिन्दी सीखने की खूब कोशिश करता है..... छोटा 'ए' बिग 'बी' का दीवाना है.... अमिताभ बच्चन की फिल्में तो दीवानगी से देखता ही है... कुछ हिन्दी सीरियल हैं जिनके टाइटल गीतों को भी गुनगुनाता है.... राजकुमार आर्यान, धर्मवीर और मै तेरी परछाईं जैसे सीरियल देखना नही भूलता .... देसी घी से चुपड़ी चपाती और दाल का दीवाना आर्यान मनपसन्द सीरियल शुरु होते टीवी के आगे खड़ा हो जाता है.....
हिन्दी का क, ख, ग ना जानते हुए भी आर्यान को सुर में गुनगुनाते हुए देखकर हम हैरान रह गए ...
कुछ छोटे छोटे वीडियो जोड़कर एक मूवी बनाई है...आप भी देखिए नन्हे राजकुमार आर्यान को और सुनिए उसका गुनगुनाना......
एक डाल पर बैठा पंछी पंखों को खुजलाए आसमान में उड़ने को जैसे ललचाए .... की-बोर्ड का मन भी मस्ती से लगा मचलने जड़ सी उंगलियाँ मेरी तेज़ी से लगीं थिरकने .... मेरा चिट्ठा जैसे अभी कल ही जन्मा था आज एक साल और दस दिन का भी हो गया........ घुटनों के बल चलता बालक जैसे रूठे, फिर ठिठके वैसे ही खड़ा रहा थामे वक्त को ..... एक कदम भी आगे न बढ़ा बस अपने जैसे नन्हे बालक को देखता रहा मुग्ध होता रहा ...... मोहित तो मैं भी थी उस नन्हे बालक पर जो आया था ईरान से ..... तीन साल का नन्हा आर्यान हिन्दी से प्यार करता हाथ जोड़कर नमस्ते कहता तो सब मंत्रमुग्ध हो जाते...... बड़ा बेटा वरुण भी उन्हीं दिनों इंजिनियर की डिग्री लाया छोटे बेटे विद्युत ने अपने मनपसन्द कॉलेज में प्रवेश पाया .... अर्दलान जो नन्हे आर्यान का बड़ा भाई , उसे भी नई दिशा मिली गीत गाते गाते अपने देश से दूर विदेश में पढ़ने की सोची..... बच्चों के उज्ज्वल भविष्य में व्यस्त माता-पिता पल भर भी न रुकते , बस चलते ही जाते जीवन पथ पर एक सितम्बर आई तो दोनों हम साथी इक पल को रुके ..... जीवन पथ पर जीवन साथी बन कर बाईस साल चले हम चलते चलते कब और कैसे इक दूजे के सच्चे दोस्त बने हम ..... और जीने का मकसद पाया, रोते रोते हँसने का हुनर भी आया .......
एक साल का नन्हा सा चिट्ठा भी मुस्काया छोटे छोटे पग भरता मेरी बाँहों में दौड़ा आया .....
रक्षाबन्धन के दिन सुबह से ही 'मेरे भैया , मेरे चन्दा' गीत गुनगुनाते हुए आधी रात हो गई....... 11 साल की थी मैं जब नन्हा सा भाई आया हमारे जीवन में .......अनमोल रतन को पाकर जैसे दुनिया भर की खुशियाँ मिल गई हों....
मेरे भैया , मेरे चन्दा मेरे अनमोल रतन तेरे बदले मे ज़माने की कोई चीज़ ना लूँ
तेरी साँसों की कसम खाके हवा चलती है तेरे चेहरे की झलक पाके बहार आती है इक पल भी मेरी नज़रों से तू जो ओझल हो
हर तरफ मेरी नज़र तुझको पुकार आती है मेरे भैया , मेरे चन्दा मेरे अनमोल रतन तेरे बदले मे ज़माने की कोई चीज़ ना लूँ
तेरे चेहरे की महकती हुई लड़ियो के लिए अनगिनत फूल उम्मीदों के चुने है मैने वो भी दिन आए कि उन ख्वाबो की ताबीर मिले तेरे खातिर जो हसीं ख्वाब बुने है मैने...
मेरे भैया , मेरे चन्दा मेरे अनमोल रतन तेरे बदले मे ज़माने की कोई चीज़ ना लूँ
राष्ट्रीय ध्वज राष्ट्र की स्वत्नत्रता , एकता और अस्मिता का प्रतीक होता है. इसके
सम्मान की रक्षा के लिए देशवासी अपने प्राण देने को तैयार रहते हैं. पराधीन
भारत में तिरंगे झंडे को प्रतिष्ठित करना आसान नहीं था. स्वतंत्रता संग्राम के समय
तिरंगे के सम्मान के लिए कई सैनानियों ने अपना बलिदान किया, जिसके
कई उदाहरण आज भी रोमांचित कर देते हैं.
'अंग्रेज़ों भारत छोड़ो' आन्दोलन के समय पटना विधान परिषद पर तिरंगा झंडा फहराने
के लिए एकत्रित समूह से निकल कर एक युवक आगे बढ़ा. पुलिस की बन्दूकें तनी थीं.
गोली चली. इसके पहले कि वह युवक गोली लगने के बाद ज़मीन पर गिरे, दूसरा
युवक आगे आया. उसने तिरंगा झंडा ऊँचा उठाए हुए कदम बढ़ाया, उसे भी गोली लगी.
इसके बाद तीसरा युवक आगे आकर तिरंगा थाम कर आगे बढ़ा और फिर गोली चली......गोली चलती रही और युवक ढेर होते रहे पर तिरंगा न रुका..... न झुका, आगे
ही आगे बढ़ता गया. अंत में सातवें युवक ने विधान परिषद पर तिरंगा फहरा ही दिया.
झंडे की शान रखने के लिए आज़ादी के दीवानो को भला कौन रोक सकता था.
इस अभियान में महिलाएँ भी पीछे नहीं रहीं. सन 1942 में श्री मती अरुणा आसफ अली ने झंडा फहराया तो असम की कनकलता मलकटरी नामक स्थान पर झंडा फहराते हुए
शहीद हो गई. मिदनापुर मे मातंगिनी हाज़रा ने गोली लगने के बाद भी झंडा हाथ से
नहीं छोड़ा. हमारा राष्ट्रीय झंडा न जाने कितने ही रूपों मे हमारे बीच लहराते हुए विजय
का उल्लास और मंगल का संकेत देता रहा है और देता रहेगा.
14 अगस्त 1947 की मध्यरात्रि को भारत जब पूर्णता: स्वतंत्र हुआ और संविधान सभी
ने राष्ट्र की बागडोर सँभाल ली तब श्रीमती हंसा मेहता ने अध्यक्ष डॉ. राजेन्द्र प्रसाद को
एक नया तिरंगा झंडा भेंट करते हुए कहा – "यह उचित है कि इस महान सदन पर जो पहला झंडा फहराया जाने वाला है, वह भारत की महिलाओं का उपहार है."
अगले दिन 15 अगस्त 1947 के शपथ ग्रहण समारोह के बाद राष्ट्रपति भवन के ध्वज-दंड
पर हमारा राष्ट्रीय ध्वज फहरा उठा।
देश विदेश में रहने वाले सभी भारतवासियों को स्वतंत्रता दिवस पर मंगलकामनाएँ.... यही कामना है कि हम अपने देश की आज़ादी की रक्षा करते हुए दुनिया के दूसरे देशों की आज़ादी का सम्मान करें।
इस शुभ दिवस पर पूरे विश्व को शांति और भाईचारे का सन्देश दें .... !
Is it for woman leaving at certain place? If so I hope full coverage will be here. One suggestion if possible please do complete videography of the meeting. In my opininon it is history making event. - Amita
amita as of now we are getting together in delhi but every woman who blogs is invited
please get in touch with us
Thats great, I have followed the Kavi Sammelan available as "Video In Internet" the first one, made a history in Internet, a Brave Heart Kavitri Sunita Shanoo.
Now it is great and pleasing news from you about the Nari Blogger. It is again a History in making from Delhi.
बहुत दूर होने के कारण आपके इस आयोजन में भाग नहीं ले सकूँगी परन्तु मेरी शुभकामनाएं ।
घुघूती बासूती