"सैकड़ो निर्दोष लोगों का खून बहाया गया मुझे उस से दर्द होता है. " अभय जी की इस पंक्ति ने अतीत में पहुँचा दिया. जब दस साल का बेटा वरुण साउदी टी.वी. में हर तरफ फैले युद्ध की खबरें देख कर बेचैन हो जाया करता. दुनिया का नक्शा लेकर मेरे पास आकर हर रोज़ पूछता कि कौन सा देश है जहाँ सब लोग प्यार से रहते हैं...लड़ाई झगड़ा नहीं करते .हम वहीं जाकर रहेंगे...अपने आप को उत्तर देने में असमर्थ पाती थी. ..तब मेरी पहली कविता का जन्म हुआ था उससे पहले गद्य की विधा में ही लिखा करती थी.
रियाद में हुए मुशायरे शाम ए अवध में पढ़ी गई यही पहली हिन्दी कविता थी.
प्रश्न चिन्ह
थकी थकी ठंडी होती धूप सी
मानवता शिथिल होती जा रही
मानव-मानव में दूरी बढ़ती जा रही
क्यों हुआ ; कब हुआ; कैसे हुआ ;
यह प्रश्न चिन्ह है लगा हुआ !!!!
क्या मानव का बढ़ता ज्ञान
क्या कदम बढ़ाता विज्ञान !
क्या बढ़ता ज्ञान और विज्ञान
मन से मन को दूर कर रहा !
यह प्रश्न चिन्ह है लगा हुआ !!!!
मानव में दानव कब आ बैठ गया
अनायास ही घर करता चला गया !
मानव के विवेक को निगलता गया
कब से दानव का साम्राज्य बढ़ता गया !
यह प्रश्न चिन्ह है लगा हुआ !!!!
कब मानव में प्रेम-पुष्प खिलेगा ?
कब दानव मानव-मन से डरेगा ?
कब ज्ञान विज्ञान हित हेतु मिलेगा ?
क्या उत्तर इस प्रश्न का मिलेगा ?
यह प्रश्न चिन्ह है लगा हुआ !!!!
क्रमश: