"प्रेम ही सत्य है"
"नारी-मन के प्रतिपल बदलते भाव जिसमें जीवन के सभी रस हैं। " मीनाक्षी
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गुरुवार, 19 मई 2011
रेडियोनामा पर विविध भारती
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कल पहली बार रेडियोनामा पर विविध भारती सुना कल से ही रेडियोनामा पर विविध भारती सुन रहे हैं.....फेसबुक का पेज खुला था इसलिए तुरंत यूनूस...
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सोमवार, 29 अक्टूबर 2007
नभ की सुषमा
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अभी तो सूरज दमक रहा है. दिन अलस जगा है. चंदा के आने का इंतज़ार अभी से क्यों लगा है ! बस उसी चंदा के ख्यालों में मेरा मन रमा है नभ की सुषमा दे...
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गुरुवार, 25 अक्टूबर 2007
तपता - हँसता जीवन !
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सूरज का अहम देख कर चन्द्र्मा मन ही मन मुस्करा उठा और सोचने लगा - अपनी आग से सूरज धरती को देता है नवजीवन ही नहीं मन-प्राण भी उसका झुलसा देता...
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