"प्रेम ही सत्य है"
"नारी-मन के प्रतिपल बदलते भाव जिसमें जीवन के सभी रस हैं। " मीनाक्षी
मेरे ब्लॉग
(यहां ले जाएं ...)
हिन्दी सागर
Living Life in Lens
▼
आँखें खोलो
लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं.
सभी संदेश दिखाएं
आँखें खोलो
लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं.
सभी संदेश दिखाएं
शनिवार, 24 नवंबर 2007
हे प्राण मेरे, आँखें खोलो !
›
हे प्राण मेरे, आँखें खोलो सृष्टि को रूप नया दे दो ! कब तक निश्चल पड़े पड़े देखोगे कब तक खड़े खड़े ! हे प्राण ..................... उठो उठो ...
7 टिप्पणियां:
›
मुख्यपृष्ठ
वेब वर्शन देखें