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बुधवार, 6 जून 2018

अनायास 

आभासी दुनिया में ब्लॉग जगत की अपनी अलग ही खूबसूरती है जो बार बार अपनी ओर खींचती है

अनायास..
पुरानी यादों का दरिया बहता  
 चट्टानों सी दूरी से जा टकराता  
 भिगोता उदास दिल के किनारों को  
 अंकुरित होते जाते रूखे-सूखे ख़्याल  
 अतीत की ख़ुश्क बगिया खिल उठी 
 और महक उठी छोटी-छोटी बातों से  
 यादों के रंग-बिरंगे फूलों की ख़ुशबू से  
 मेरी क़लम एक बार फिर से जी उठी  
 बेताब हुई लिखने को मेरा इतिहास  
 भुला चुकी थी जिसे मैं 
या भूलने का भ्रम पाला था 
शायद !!