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शुक्रवार, 23 नवंबर 2007

व्यक्तित्त्व























सामने से उसे आते देख मैं चौंक गई
सुन्दर, सौम्य, मुस्काती नम्र नम आँखें
चाल में शालीनता, चेहरे पर नहीं मलिनता

किसी ने कहा - "देखते ही पता चलता है
वह घमण्डी है, नकचढ़ी है!"

किसी ने कहा - " नहीं नहीं , वह गूँगी है,
उसे बोलना ही नहीं आता है !"

किसी ने कहा - "कछुए की तरह सदा अपने
कवच में छिपी रहती है !"

किसी ने कहा - "हीन भावना से ग्रस्त शायद
निर्धन घर की लड़की है !"

किसी ने कहा - "बन्द किताब का वह एक
कोरा पन्ना है !"

लेकिन

किसी ने नहीं कहा था - "वह भावुक संवेदनशील
ह्रदय वाली है !"

किसी ने नहीं कहा था - "उसका मन शीशे जैसा
बेहद नाज़ुक है !"

किसी ने नहीं कहा था - "वह मानव के छल-कपट
से आहत है!"

किसी ने नहीं कहा था - " वह प्रेम रस पीने को
व्याकुल है!"

सामने से उसे आते देख मैं समझ गई !
इन आँखों को पढ़ना बहुत मुश्किल है !
पढ़ लिया तो फिर समझना मुश्किल है !
समझ लिया तो फिर भूलना मुश्किल है !

12 टिप्‍पणियां:

  1. समझ लिया तो भूलना मुश्किल है..शायद इसलिये कोई समझना नहीं चाहता ।

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  2. याद भी तो रख सकते हैं....।

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  3. कहा था - "वह भावुक संवेदनशील
    ह्रदय वाली है !"

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  4. बढिया चित्रण दोनो भावनाओं का । धन्‍यवाद ।

    www.aarambha.blogspot.com

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  5. हर आदमी वही समझता है - जो उसके अन्दर होता है।

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  6. कविता के भाव और शब्द चित्रण दोनों ही बहुत अच्छे है. और दो टिप्पणिया ऐसी भी है जो कि आपकी कविता कि तरह जबरदस्त है.

    १> Beji said...
    याद भी तो रख सकते हैं....।

    २> Gyandutt Pandey said...
    हर आदमी वही समझता है - जो उसके अन्दर होता है।

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  7. सही है। क्या सही है ये हम न बतायेंगे।

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  8. सुंदर चित्रण!!

    पैले इन आंखो की मालकिन कहीं दिखे और मिले तब बता पाऊंगा कुछ ;)

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  9. क्या बात है.. बहुत सुन्दर!

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  10. who are you talking about..??
    is it not you yourself....

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  11. कल 14/09/2011 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
    धन्यवाद!

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  12. सबसे पहले हिंदी दिवस की शुभकामनायें /
    बहुत ही सुंदर और गहन सोच को उजागर करती हुई बेमिसाल रचना /बहुत बधाई आपको /
    मेरी नई पोस्ट हिंदी दिवस पर लिखी पर आपका स्वागत है /
    http://prernaargal.blogspot.com/2011/09/ke.html/

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