"प्रेम ही सत्य है"
"नारी-मन के प्रतिपल बदलते भाव जिसमें जीवन के सभी रस हैं। " मीनाक्षी
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हिन्दी सागर
Living Life in Lens
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गुरुवार, 28 फ़रवरी 2008
पलकों में सजी यादें ... ! 2
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अनायास ही पलकों में सजी यादें पिछली पोस्ट की ज़मीन पर उतरती चली गईं. पलकों पर सजी कुछ और भी यादें हैं, जो हौले हौले से फिर एक नई पोस्ट की ज़म...
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त्रिपदम (हाइकु)
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दिल को छू ले बात-बात का फ़र्क बुद्धि उलझे शुष्क नीरस प्रेम-पुष्प विहीन मानव मन मृग-तृष्णा है मन मरुस्थल सा प्रेम न फ़ूटा वसुधा सोचे खिलने की च...
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सोमवार, 25 फ़रवरी 2008
पलकों में सजी यादें ... !
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26 अक्टूबर 1986 की सुबह सबकी आँखें नम थीं. मम्मी, डैडी, छोटी बहन बेला और भाई चाँद से अलग होने का दुख पति मिलन की खुशी से कहीँ ज़्यादा था. उधर...
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नए त्रिपदम 'हाइकु' - मन-प्रकृति
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मैं मैं नहीं हूँ जो हूँ वैसी नहीं हूँ भ्रमित मन छलिया है जो पाखंड करता क्यों नादान मन प्रशंसा पाए अहम ही ब्रह्रास्मि तृप्त हो जाए मोह पाश है...
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शुक्रवार, 22 फ़रवरी 2008
test post
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तस्वीरों में सफर की कहानी
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साउदी अरब में कुछ बड़े बड़े कम्पाउंड छोड़कर अधिकतर घर कुछ इस तरह माचिस की डिब्बी से होते हैं. जिसका कुछ हिस्सा खोलकर धूप और ताज़ी हवा का थोड़ा ...
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गुरुवार, 21 फ़रवरी 2008
लौट आए हैं फिर से ...
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लौट आए हैं फिर से पुरानी दिनचर्या में.... पिछले कुछ दिनों से सफ़र और अतिथि सत्कार में व्यस्त थे. दो दिन पहले दम्माम से लौटे तो अपनी कुर्सी पर...
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