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गुरुवार, 21 फ़रवरी 2008

लौट आए हैं फिर से ...

लौट आए हैं फिर से पुरानी दिनचर्या में.... पिछले कुछ दिनों से सफ़र और अतिथि सत्कार में व्यस्त थे. दो दिन पहले दम्माम से लौटे तो अपनी कुर्सी पर आ बैठे और बस लगे पढ़ने ब्लॉग पर ब्लॉग जैसे एक जाम के बाद एक दूसरा..तीसरा...चौथा....अनगिनत...कोई रोकने-टोकने वाला नहीं....... लिखने की सुध ही नहीं रही...

लेकिन लगा कि ....

कोई सागर दिल को बहलाता नहीं....



फिर थोड़ा रुके... शब्दों का सफर में एक कविता पढ़ी, पारुल के ब्लॉग पर अपनी मन-पसन्द गज़ल सुनी तो मन में इक लहर सी उठी. और हलचल सी हुई....होश आया कि बहुत दिनों से कुछ लिखा ही नहीं है लेकिन शुक्र है कि किसी ने इस ओर ध्यान ही नहीं दिया....

उनको ये शिकायत है कि हम..... (यह गीत कुछ प्यारी यादों के साथ जुड़ा है)

6 टिप्‍पणियां:

  1. ऐसी बात नही की आपकी गैरमौजूदगी हमें खली नही ,दी । मगर लगा की ज़रूर कही व्यस्त होंगी…welcome back

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  2. मीनाक्षी जी हम तो रोज आपको खोजते थे।पहले तो समझा कि केबल वगैरा टूटने की वजह से आप लिख नही रही है। पर आज पता चला की आप मेहमानों मे व्यस्त थी।

    खैर अब तो आप फ्री है तप अब बस शुरू हो जाए लिखने का सिलसिला।

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  3. चलो जी वेलकम बैक है!!!
    बढ़िया गाने

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  4. मीनाक्षी जी आपका स्वागत है । आपकी कमेन्टस् का अभाव बहुत खला । अब आपकी टिप्पणी मिलती रहेगी ।

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  5. वापसी कुछ खाली लग रही है। कुछ त्रिपदम हो जाये।

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  6. स्वागत है आपका । कमी आपके ब्लाग पर भी खली और शब्दों के सफर में भी :)

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