"प्रेम ही सत्य है"
"नारी-मन के प्रतिपल बदलते भाव जिसमें जीवन के सभी रस हैं। " मीनाक्षी
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बुधवार, 21 नवंबर 2007
सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला' जी ने कविता को 'कल्पना के कानन की रानी' कहा है.
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स्वाधीनता आन्दोलन के सन 1920 के बाद के दौर में नई पीढ़ी का यह नवीनता के प्रति मुग्ध आकर्षण अपने में अनेक पहलुओं को समेटे था जैसे कल्पनाशीलता,...
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