"प्रेम ही सत्य है"
"नारी-मन के प्रतिपल बदलते भाव जिसमें जीवन के सभी रस हैं। " मीनाक्षी
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रविवार, 11 नवंबर 2007
मानव की प्रकृति
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विद्युत रेखा हूँ नीले अंबर की स्वाति बूँद हूँ नील गगन की ! गति हूँ बल हूँ विनाश की अमृत-धारा बनती विकास की ! अग्नि-कण हूँ ज्योति ज्ञान की म...
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