"प्रेम ही सत्य है"
"नारी-मन के प्रतिपल बदलते भाव जिसमें जीवन के सभी रस हैं। " मीनाक्षी
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रविवार, 30 दिसंबर 2007
कैसे रोकूँ, कैसे बाँधू जाते समय को
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कैसे रोकूँ, कैसे बाँधू जाते समय को जो मेरे हाथों से निकलता जाता है. कैसे सँभालूँ, कैसे सँजोऊँ बीती बातों को भरा प्याला यादों का छलकता जाता ह...
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