मृत्यु अंधकारमय कोई शून्य लोक है
या नवजीवन का उज्ज्वल प्रकाशपुंज है
या मृत्यु-दंश है विषमय पीड़ादायक
या अमृत-रस का पात्र है सुखदायक
तन-मन थक गए जब यह सोच
सोच
तब मन-मस्तिष्क मे नया भाव
जागा
मेरे पास सिर्फ एक लम्हा है
जो अजर-अमर है
इस मृग-तृष्णा में जी लेने दो !!