ब्लॉग जगत के सभी मित्रों को प्रणाम ! यहाँ सक्रिय होने का प्रयास सफल हो यही कामना है. इस कोशिश में शामिल होते हुए कुछ यादों को आज के दिन बाँटने का चाह जागी. इसमें कोई दो राय नहीं कि आभासी दुनिया में फेसबुक ने ब्लॉग जगत को पीछे छोड़ दिया है. ब्लॉगर ऐसा है जिसे ब्लॉग जगत से मोह है तो फेसबुक का आकर्षण भी कम नहीं. मैं अपनी बात करती हूँ न मैं ब्लॉग जगत में सक्रिय हूँ न ही फेसबुक पर लेकिन साथ जुड़े रहने की चाह दोनों से ही विदा नहीं लेने देती.
जनवरी २०१७ दिल्ली के पुस्तक मेले में जाने का पहला मौका और उस पर कई ब्लॉगर मित्रों से रूबरू मिलना बेहद खुबसूरत रहा. ब्लॉग में लिखने का टलता रहा हालांकि कुछ छोटे छोटे ड्राफ्ट्स हैं जिन्हें as it is पोस्ट किया जा सकता था लेकिन आलस शायद हाँ यही एक कारण है कि लिखने का काम रह जाता है. पढ़ कर उसका जवाब मन ही मन में सोच कर ही तसल्ली हो जाती. एक और कारण भी है. पढने में ही वक़्त ख़त्म हो जाता है और फिर असल जिंदगी के काम शुरू हो जाते वैसे भी सोचा कराती हूँ किसे फुर्सत है मेरे लिखे को पढने का.
खैर यादगार पल थे पहली बार दिल्ली के पुस्तक मेले में जाना और अपने प्रिय ब्लॉगर मित्रों से रूबरू मिलना. फेसबुक पर भी कुछ यादें दर्ज हुई हैं लेकिन अपने ब्लॉग में सहेजने का मज़ा भी अलग है. आज ब्लॉग दिवस पर एक पोस्ट सबके नाम --
विश्व पुस्तक मेले में पहला दिन

#हिंदी_ब्लॉगिंग
जनवरी २०१७ दिल्ली के पुस्तक मेले में जाने का पहला मौका और उस पर कई ब्लॉगर मित्रों से रूबरू मिलना बेहद खुबसूरत रहा. ब्लॉग में लिखने का टलता रहा हालांकि कुछ छोटे छोटे ड्राफ्ट्स हैं जिन्हें as it is पोस्ट किया जा सकता था लेकिन आलस शायद हाँ यही एक कारण है कि लिखने का काम रह जाता है. पढ़ कर उसका जवाब मन ही मन में सोच कर ही तसल्ली हो जाती. एक और कारण भी है. पढने में ही वक़्त ख़त्म हो जाता है और फिर असल जिंदगी के काम शुरू हो जाते वैसे भी सोचा कराती हूँ किसे फुर्सत है मेरे लिखे को पढने का.
खैर यादगार पल थे पहली बार दिल्ली के पुस्तक मेले में जाना और अपने प्रिय ब्लॉगर मित्रों से रूबरू मिलना. फेसबुक पर भी कुछ यादें दर्ज हुई हैं लेकिन अपने ब्लॉग में सहेजने का मज़ा भी अलग है. आज ब्लॉग दिवस पर एक पोस्ट सबके नाम --
विश्व पुस्तक मेले में पहला दिन

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