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बुधवार, 6 जून 2018

अनायास 

आभासी दुनिया में ब्लॉग जगत की अपनी अलग ही खूबसूरती है जो बार बार अपनी ओर खींचती है

अनायास..
पुरानी यादों का दरिया बहता  
 चट्टानों सी दूरी से जा टकराता  
 भिगोता उदास दिल के किनारों को  
 अंकुरित होते जाते रूखे-सूखे ख़्याल  
 अतीत की ख़ुश्क बगिया खिल उठी 
 और महक उठी छोटी-छोटी बातों से  
 यादों के रंग-बिरंगे फूलों की ख़ुशबू से  
 मेरी क़लम एक बार फिर से जी उठी  
 बेताब हुई लिखने को मेरा इतिहास  
 भुला चुकी थी जिसे मैं 
या भूलने का भ्रम पाला था 
शायद !!

14 टिप्‍पणियां:

  1. वाह कमाल का लि‍खा है आपने। आपकी लेखनी की कायल तो पहले से ही थी मगर बीच के दि‍नों में सि‍लसिला टूट सा गया था। एक बार फि‍र जुड़कर अच्‍छा लग रहा है। लाजवाब

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  2. आपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन जन्म दिवस - सुनील दत्त और ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है। कृपया एक बार आकर हमारा मान ज़रूर बढ़ाएं,,, सादर .... आभार।।

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  3. ये हूलने का भ्रम ही होता है ...
    यादें कहीं नहीं जाती अगर अल्जाइमर न हो ... कहाँ हैं आज कल ... आशा है सब ठीक कुचल मंगल ... बच्चे कैसे हैं ... मेरी नमस्कार ...

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  4. कोई टिस यादों को भूलने नही देती
    सुंदर रचना.
    आत्मसात 

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  5. दीपोत्सव की अनंत मंगलकामनाएं !!

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  6. Lovely post.
    श्री राधा कृष्ण प्रेम इतना सच्चा क्यों था? श्री राधा जी का मन इतना अच्छा क्यों था ?
    radha krishna ka pyar

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  7. बहुत खूब, बहुत उम्दा, बहुत बढ़िया... वाह...

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  8. Ration Card
    आपने बहुत अच्छा लेखा लिखा है, जिसके लिए बहुत बहुत धन्यवाद।

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  9. आपका वर्णन बहुत ही अच्छा है। इस पोस्ट के लिए शुक्रिया।

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  10. What a great post!lingashtakam I found your blog on google and loved reading it greatly. It is a great post indeed. Much obliged to you and good fortunes. keep sharing.shani chalisa

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