मेरे ब्लॉग

रविवार, 15 मई 2016

एक बार फिर वापिसी ..


ब्लॉग़ जगत सागर जैसा विस्तार  लिए हुए 
अपनी ओर खींचता है बार बार 
हम पंछी से उड़ उड़ आते हैं हर बार 
फिर से लौटना हुआ पर 
क्या जानूँ कब तक रुकना होगा 
लेकिन हर बार लौटना रोमाँचित कर जाता है ! 

4 टिप्‍पणियां:

  1. स्वागत है आपका ... अच्छा किया आपने ...

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  2. @रविशंकर जी या रवि रतलामी कहूँ , पुरानी यादों में रतलामी अब भी ताज़ा हैं...@समीरजी, @दिगम्बरजी और आपकी हौंसला अफजाई का बहुत बहुत शुक्रिया !

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