मेरे घर के गमले में
खुश्बूदार फूल खिला है
सफ़ेद शांति धारण किए
कोमल रूप से मोहता मुझे ....
छोटे-बड़े पत्थर भी सजे हैं
सख्त और सर्द लेकिन
धुन के पक्के हों जैसे
अटल शांति इनमें भी है
मुझे दोनों सा बनना है
महक कर खिलना
फिर चाहे बिखरना हो
सदियों से बहते लावे में
जलकर फिर सर्द होकर
तराशे नए रूप-रंग के संग
पत्थर सा बनकर जीना भी है !!