हर उम्र में बच्चे कुछ न कुछ नया जानना चाहते हैं...ज्यों ज्यों बच्चे बड़े होते है...उनकी उत्सुकता भी बढ़ती जाती है...किशोरावस्था में तो दुस्साहसी हो जाते हैं.... डर तो जैसे जानते ही नही........ इस उम्र में जोश तो होता है लेकिन होश खो बैठते हैं।
विद्युत के बचपन का दोस्त अदनान कनाडा से रियाद जाते वक्त दुबई दस दिन हमारे पास ठहरा... द्स दिन में दस कहानियाँ ....हर दिन की एक नई दास्तान...
दुबई शहर से दूर रेगिस्तान में बाबलशाम नाम का एक रिसोर्ट है जहाँ दोनो बच्चे अपने दोस्तों के साथ गए....कुछ देर बाद वहाँ से और आगे रेगिस्तान में ज़हरीले साँपों को देखने निकल गए...अंधेरी रात...लेकिन साँपों को देखने की चाहत ....... आधी रात तक रेतीले टीलो के आसपास घूमते रहे कि शायद एकाध साँप दिख जाए... आखिरकार बच्चों को सफलता मिली........
विद्युत के लैपटॉप में दो फिल्में देख ली...जो देखा उसे आप सबके साथ बाँटना चाहती हूँ......
बच्चे साँप को देख कर जितने खुश हुए...उतना ही उनकी आवाज़ में हैरानी , खुशी और डर भी महसूस किया...
(विद्युत ने फिल्म ली, आवाज़ अदनान की है... कार चलाने वाला दोस्त राहिल जो कार की हैडलाइट्स से रोशनी कर रहा था. )
एडवेन्चर नवयुवाओं के जीवन का हिस्सा है. अच्छा लगा दोनो विडियो देखकर. हम तो गाड़ी पलटा कर भाग ही लेते. :)
जवाब देंहटाएंअच्छा लगा।
जवाब देंहटाएंसादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
shyamalsuman@gmail.com
जीवन में यह साहस न होता तो दुनिया आज भी हजारों साल पुरानी और अनजानी होती।
जवाब देंहटाएंसुन्दर! साहसिक!
जवाब देंहटाएंधन्यवाद जी जो आपने यह साहस गाथा हम तक पंहुचाई।
जवाब देंहटाएंहमारे तो कमोड़ की सीट पर सांप बैठा था और हम तय नहीं कर पा रहे थे कि मारें या भगाने का जोखिम लें! :)
सुन्दर विडिओ.
जवाब देंहटाएंप्रकृति तो विभिन्न प्रकार से दर्शनीय है ही.इस को पोस्ट करने के लिये बधाई.
वैसे अभी भी भारत में संपेरे साँप को पास से दिखाते हैं.
पता नहीं .. क्या समस्या है .. कुछ दिखाई ही नहीं पडा .. बाद में कोशिश करती हूं।
जवाब देंहटाएंमीनाक्षी, मेरा तो दिल ही दहल गया...विडियो तो काबिलेतारीफ है पर सचमुच विद्युत और अदनान के जोश की दाद देनी पड़ेगी...हिम्मत नहीं हारे। :)
जवाब देंहटाएंजैसा मुझे याद है रेगिस्तान में रेटल स्नेक होता है जो कि सबसे ज्यादा ज़हरीला भी होता है। और इसकी चाल देख कर ऐसा लगा कि ये रेटल स्नेक है।
हमें विडियो दिखा नहीं.....पर बच्चे वाकई साहसी है.....सांप देखने का शौक ?आईला ....
जवाब देंहटाएंहाँ, एक बात लिखना रह गई कि इसे दुस्साहस न कहो...उत्सुकता तो मानव की प्रकृति है, और उम्र ऐसी की उत्सुकता पर जोश भी जमा होता है। है न ...
जवाब देंहटाएंmujhe bhi kuchh nahi dikh raha...!
जवाब देंहटाएंyuva shakti aisi hi hoti hai
जवाब देंहटाएंbachche vakayi sahsi hain