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बुधवार, 28 जनवरी 2009

कोहरा, कलम और मैं



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कोहरा सर्द आहें भरता हुआ अपने होने का एहसास कराता है... दूर दूर तक फैले नीले आसमान के नीचे मुझे अपनी गिरफ़्त में ले लेता है , उसके आगोश में कसमसाती मैं और मेरे हाथों में कराहती कलम जिसके गर्भ में शब्द आकार लेने से पहले ही दम तोड़ते जा रहे हैं....
नहीं जानती कि ऐसा क्यों और कैसे हो रहा है लेकिन हो रहा है....

कलम का दर्द मुझे अन्दर तक हिला देता है...उसे हाथों में लेने को आगे बढ़ती हूँ..... मेरा स्पर्श पाते ही पल भर में उसका दर्द गायब हो जाता है....उसके मन में एक उम्मीद सी जागी है..शब्दों को सुन्दर रूप और आकार मिलेगा, इस कल्पना मात्र से ही वह खिल उठी है.....

14 टिप्‍पणियां:

  1. जिन्दगी की उहा पोह, उलझनें और जिम्मेदारियाँ अक्सर ऐसी ही मानसिक स्थितियाँ निर्मित कर देती हैं, जिन्हें आपने इतनी सुन्दरता से शब्द दिये हैं.

    मनोभावों की सशक्त एवं सहज अभिव्यक्ति.

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  2. कोहरा नहीं होता हरा
    न होता हरा ककहरा
    पर न लिखना
    हो जाता है गहरा
    जब ऊंगलियां हो जाती हैं जाम
    यह जाम ट्रैफिकी जाम नहीं है
    जाम यह वो वाला भी नहीं है
    पर जाम तो जाम है
    जैसे हरा होता है हरा
    पर नहीं होता कोहरा हरा
    फिर भी कहलाता है कोहरा

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  3. Fog Is A Tunnel
    Life Is A Train
    At The End Of The Tunnel
    There Is Light Always
    Keep The Train Of Life
    Chuging On

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  4. आपकी आमद हमेशा सुखद रहती है....इस कलम को छोडियेगा नही....ये कई दर्द से मुक्ति दिलाती है

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  5. डॉ. अनुराग ने जो कहा है
    अवश्‍य गौर फरमाइयेगा
    कलम को छोडि़एगा
    और मैं कह रहा हूं
    कीबोर्ड को छेडि़एगा


    कीबोर्ड पर ऊंगलियों के
    थिरकने से निकलते
    नये तराने हैं
    ऊंगलियां जम जाती हैं
    ये सब तो बहाने हैं।

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  6. हमारी भी दशा कोहरामय है। बस आप कलम की बात कर रही हैं - मैं रेलगाडी की!

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  7. ज्ञानदत्‍त जी आप तो
    कोहरा में हरा रंग पढ़
    कर रिलीज कर देते हैं
    या होंगे अवश्‍य सिग्‍नल।

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  8. बहुत दिनों बाद आज आप दिखी है ।
    मीनाक्षी परेशान न हो ये दौर गुजर जायेगा ।
    ऐसा हम इसलिए कह रहे है क्यों की हम इस दौर से गुजर चुके है (sep -jan )जब कुछ भी लिखने का मन नही करता था ।

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  9. ममता जी
    कोहरा रहता है न दिल्‍ली
    में
    इसलिए नहीं दिख रही होंगी
    पर दिल्‍ली वाले तो देख ही
    लेते हैं गाहे बगाहे इधर या
    उधर चाहे कोई सी हो डगर।

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  10. हिन्दी ब्लोग जगत मेँ तशरीफ रखिये स्वागतम ~~~
    Where have you been ? :)
    - लावण्या

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  11. मैंने आपकी यह पोस्ट आज पढ़ी ..लिखना दिल को भावनाओं को व्यक्त कर के हल्का कर देता है और कोहरा हमेशा कहाँ रहता है छंट जायेगा

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  12. मीनाक्षी जी, कुछ दिन की छुट्टी चाहे ले लीजिए परन्तु लिखना मत छोड़िएगा। लिखकर मन हल्का ही होता है। यहाँ आपकी प्रतीक्षा है और रहेगी।
    घुघूती बासूती

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