"प्रेम ही सत्य है"
"नारी-मन के प्रतिपल बदलते भाव जिसमें जीवन के सभी रस हैं। " मीनाक्षी
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Living Life in Lens
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गुरुवार, 30 मई 2013
सुधा की कहानी उसकी ज़ुबानी (6)
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चित्र गूगल के सौजन्य से सुधा अपने आप को अपनों में भी अकेला महसूस करती है इसलिए अपने परिचय को बेनामी के अँधेरों में छिपा रहने देना चाहत...
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बुधवार, 29 मई 2013
युद्ध की आग
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आज जब चारों ओर इंसान इंसान को हैवान बन कर निगलते देखती हूँ तो बरबस इस कविता की याद आ जाती है जो शायद सन 2000 से भी पहले की लिखी हुई है ज...
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सोमवार, 27 मई 2013
सुधा की कहानी उसकी ज़ुबानी (5)
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चित्र गूगल के सौजन्य से सुधा अपने आप को अपनों में भी अकेला महसूस करती है इसलिए अपने परिचय को बेनामी के अँधेरों में छिपा रहने देना चा...
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गुरुवार, 23 मई 2013
अपनी सोच को पिंजरे में बंद रखना !
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अक्सर सोचती हूँ कि सोचूँ नहीं ..सोचों को मन के पिंजरे में कैद रखूँ लेकिन फिर भी कहीं न कहीं से किसी न किसी तरीके से वे कभी न कभी बाहर आ ह...
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बुधवार, 22 मई 2013
बैठे बैठे सूझा कुछ नया ....
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अपने ब्लॉग पर इधर उधर विचरते हुए सन 2011 की अंतिम पोस्ट ' कीबोर्ड पर थिरकती उंगलियाँ' को दुबारा पढते हुए अचानक मन में ख्याल आया क...
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