"प्रेम ही सत्य है"
"नारी-मन के प्रतिपल बदलते भाव जिसमें जीवन के सभी रस हैं। " मीनाक्षी
मेरे ब्लॉग
(यहां ले जाएं ...)
हिन्दी सागर
Living Life in Lens
▼
शनिवार, 24 सितंबर 2011
भटक क्यों जाते हैं हम
›
पिछले कुछ दिनों से व्यस्त हूँ अपने पुराने दोस्तों के संग हूँ ..... आज फुर्सत के कुछ पल मिले तो चाय का एक कप लेकर बैठी हूँ ..... मन क...
31 टिप्पणियां:
मंगलवार, 20 सितंबर 2011
तुम्हारा स्पर्श
›
पिछली पोस्ट पर अपनी एक दोस्त का परिचय दिया था...आठ साल बाद फिर से फेसबुक पर मिलना हुआ..यादों के पल मोती जैसे सहेजने के लिए ब्लॉग बनाने को...
22 टिप्पणियां:
सोमवार, 19 सितंबर 2011
पुराने दोस्त , पुरानी यादें,, नई ताज़गी के साथ...
›
पिछले दिनों कविता के रूप सौन्दर्य को एक नहीं , दो नहीं तीन बार निहारा, सराहा...शायद एक दो बार और कविता के सागर में डूबना हो.......
10 टिप्पणियां:
शुक्रवार, 16 सितंबर 2011
आज की कविता का रूप-सौन्दर्य 3
›
आज की कविता का रूप-सौन्दर्य बढ़ाने में सहायक हैं नए बिम्ब और नई भाषा शैली .... और चमत्कृत कर देते हैं भाव ..... कवि-मन में जब गहन अनुभूति क...
17 टिप्पणियां:
गुरुवार, 15 सितंबर 2011
आज की नई कविता का रूप सौन्दर्य 2
›
आज की नई कविता का रूप सौन्दर्य निहारते हुए उसका बखान करने का तरीका सबका अपना अपना अलग हो सकता है.... जैसे तराशे हुए हीरे को सभी अपने अपने...
19 टिप्पणियां:
बुधवार, 14 सितंबर 2011
आज की नई कविता का रूप सौन्दर्य
›
हिन्दी दिवस पर आज के युग की कविता के बारे में लिखने का मन बना तो उसके दो रूप आँखों के सामने आ गए....अलंकारों से सजी छन्द युक्त कविता और अलं...
14 टिप्पणियां:
‹
›
मुख्यपृष्ठ
वेब वर्शन देखें