"प्रेम ही सत्य है"
"नारी-मन के प्रतिपल बदलते भाव जिसमें जीवन के सभी रस हैं। " मीनाक्षी
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Living Life in Lens
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शनिवार, 29 मई 2010
गुस्सा बुद्धि का आइडेंटिटी कार्ड है
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इस पोस्ट का शीर्षक फुरसतिया ब्लॉग़ की पोस्ट ‘एक ब्लॉगर की डायरी’ से लिया गया है. नेट की परेशानी के कारण कुछ रचनाओं के प्रिंट आउट करवा कर ...
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मंगलवार, 25 मई 2010
बेबसी, छटपटाहट और गहरा दर्द
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आज शाम भारत से एक फोन आया जिसने अन्दर तक हिला दिया. उम्मीद नहीं थी कि अपने ही परिवार के कुछ करीबी रिश्ते इस मोड़ पर आ जाएँगे जहाँ दर्द ही दर...
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गुरुवार, 20 मई 2010
त्रिपदम (ग्रीष्म ऋतु के)
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लू सी जलती ऋतु गर्मी की आई धू धू करती * किरणें तीली सूरज की माचिस धरा सुलगी * सड़कें काली तपती रेत जले खुश्क हवाएँ * दम घुटता धूल में घर डूबा...
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सोमवार, 17 मई 2010
त्रिपदम (हाइकु)
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डरा कपोत बिल्ली टोह में बैठी बचेगा कैसे ** सोचा मैंने भी खामोश हूँ क्यों बैठी जड़ सी ** क्या मैं ऐसी हूँ तटस्थ या नादान ...
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रविवार, 9 मई 2010
मेरे तो लगभग सभी दिन ऐसे ही खास होते हैं..!
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आज न जाने क्यों सुबह नींद ही नहीं खुली.... विजय ऑफिस चले गए..बच्चे भी कब उठ गए पता ही नहीं चला.... छोटे की आवाज़ से नींद खुली कि चाय नाश्ता ...
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रविवार, 2 मई 2010
एक घर की कहानी ऐसी भी
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सुमन दमकते सूरज को देखती तो कभी कार के खराब ऐ.सी को कोसती....आज कई दिनों बाद निकले सूरज देवता जैसे अपनी मौजूदगी का एहसास कराने की...
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बुधवार, 28 अप्रैल 2010
हम बुरा ही क्यों सोचते हैं.....!
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ऑफिस के लिए विजय निकले ही थे कि इधर दुबई वाला मोबाइल बज उठा, सालिक का सन्देश था जिसमें टॉलगेट पार करने के लिए अब एक भी दहरम नहीं बचा था. वहा...
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