"प्रेम ही सत्य है"
"नारी-मन के प्रतिपल बदलते भाव जिसमें जीवन के सभी रस हैं। " मीनाक्षी
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मंगलवार, 20 मई 2008
चिट्ठी न्यारी मेरे नाम ....
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अन्धकार के गहरे सागर में अकेलेपन की शांत लहरें जिनमें हलचल सी हुई . ..... शायद सपनों की दुनिया शायद कल्पना का लोक ताना बाना बुना गया..... प्...
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सोमवार, 12 मई 2008
हाइकु (त्रिपदम)
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कैसे लिखूँ मैं बुद्धि जड़ हो गई मन बोझिल सोचा था मैंने सफ़रनामा न्यारा दर्ज करूँगी लेखनी रुकी थम गए हैं शब्द गला रुँधा है कविता हो न लेख लिख...
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शनिवार, 10 मई 2008
दिल्ली की गर्मी में माँ के आँचल की शीतल छाया
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दिल्ली से कल ही लौटे. टैक्सी घर के सामने रुकी तो छोटा बेटा विद्युत बाहर ही खड़ा था . सामान लेकर अन्दर पहुँचे तो घर साफ-सुथरा पाकर मन प्रसन...
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रविवार, 20 अप्रैल 2008
फिर जन्मे कुछ हाइकु (त्रिपदम)
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चिट्ठा चित्तेरा पुकारे बार-बार लौटी फिर से मन मोहता मधुशाला का साकी बहके पग गहरा नशा डगमग पग हैं बेसुध मन कलम चली शब्दों को पंख लगे उड़ते भाव...
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बुधवार, 9 अप्रैल 2008
शैशव की स्मृति
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स्मृतियाँ लौटीं , शैशव की याद आई घुटनों के बल कितनी माटी खाई चूड़ियाँ माँ की कानों में खनकी भूली यादों से आँखें भर आईं ममता की...
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गुरुवार, 3 अप्रैल 2008
पर चलती क़लम को रोक लिया
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पुरानी यादों की चाशनी में नई यादों का नमक डाल कर चखा तो एक अलग ही स्वाद महसूस किया. जो महसूस किया उसे कविता की प्लेट में परोस दिया. आप भी...
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सोमवार, 31 मार्च 2008
साँसों का पैमाना टूटेगा
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कभी हाथ में प्रेम का प्याला गले से उतरे जैसे हो हाला सीने में उतरे चुभे शूल सा इक पल में फिर लगे फूल सा पाश में बाँधे मोह का प्याला कभी शूल...
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