"प्रेम ही सत्य है"
"नारी-मन के प्रतिपल बदलते भाव जिसमें जीवन के सभी रस हैं। " मीनाक्षी
मेरे ब्लॉग
(यहां ले जाएं ...)
हिन्दी सागर
Living Life in Lens
▼
सोमवार, 31 दिसंबर 2007
मैं स्वार्थी हूँ
›
नए साल में छुटकारा कैसे पाऊँ उससे ? लिखने का एक मुख्य कारण मेरा स्वार्थ है. मीर साहब और शेख साहब कहा करते थे कि दुयाओं में गज़ब का असर होता ...
21 टिप्पणियां:
रविवार, 30 दिसंबर 2007
कैसे रोकूँ, कैसे बाँधू जाते समय को
›
कैसे रोकूँ, कैसे बाँधू जाते समय को जो मेरे हाथों से निकलता जाता है. कैसे सँभालूँ, कैसे सँजोऊँ बीती बातों को भरा प्याला यादों का छलकता जाता ह...
7 टिप्पणियां:
शुक्रवार, 28 दिसंबर 2007
मीरा राधा की राह पे चलना
›
पवन पिया को छू कर आई पहचानी सी महक वो लाई. गहरी साँसें भरती जाऊँ नस-नस में नशा सा पाऊँ. पिया प्रेम का नशा अनोखा पी हरसूँ यह कैसा धोखा. पिया ...
7 टिप्पणियां:
विषैला शिशु-मानव
›
प्रकृति का ह्रदय चीत्कार कर रहा विकास के हर पल में ! विषैला शिशु-मानव हर पल पनप रहा उसके गर्भ में ! नस-नस में दूषित रक्त दौड़ रहा रोम-रोम ...
7 टिप्पणियां:
बुधवार, 26 दिसंबर 2007
सुनहरा अतीत गीतों में गुनगुनाता हुआ .....
›
आज पहली पोस्ट जो खुली रेडियोनामा की "फ़िज़ाओं में खोते कुछ गीत" जिसे पढ़कर लगा कि जहाँ चाह हो, वहाँ राह निकल आती है... संयोंग की बात ...
10 टिप्पणियां:
कपट न हो बस मै तो जानूँ !
›
तुम छल क्यों करते मैं न जानूँ क्यों मन रोए मैं न जानूँ कपट न हो बस मैं तो जानूँ ! निस्वार्थ भाव स्वीकार करें तुम्हे तुष्ट न क्यों तुम मैं न...
12 टिप्पणियां:
मंगलवार, 25 दिसंबर 2007
हाईबर्नेशन की अवस्था में ही सभी पर्वों पर शुभकामनाएँ !
›
when christmas comes to town एक बार हाइब्रेशन की अवस्था में जाने पर शीत ऋतु में बाहर आने में एक सिहरन सी होती है. एक हफ्ता क्या बीता जैसे हम...
9 टिप्पणियां:
‹
›
मुख्यपृष्ठ
वेब वर्शन देखें