"प्रेम ही सत्य है"
"नारी-मन के प्रतिपल बदलते भाव जिसमें जीवन के सभी रस हैं। " मीनाक्षी
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Living Life in Lens
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गुरुवार, 30 अगस्त 2007
मेरी कलम की पीड़ा
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कल शाम कुछ ऐसा घटित हुआ कि मन पीड़ा से कराह उठा। मेरी पीड़ा को अनुभव कर मेरी कलम चीत्कार कर उठी कि उसे अपनी उंगलियाँ रूपी बाँहों में थाम ...
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रियाद के उस पार....
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आकाश के आँचल में सोया सूरज अभी निकला भी न था कि हम निकल पड़े अपने नीड़ से। अपने हरे-भरे कोने में खिले फूलों को मन ही मन अलविदा कर के मेनगेट ...
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मंगलवार, 28 अगस्त 2007
भूख
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नई दिल्ली के एयरपोर्ट पर उतरते ही अपने देश की माटी की मीठी सी सुगन्ध ने तन-मन को मोहित कर दिया। हमेशा जुलाई अगस्त की गर्मी साँस लेना दूभर...
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सोमवार, 27 अगस्त 2007
मैं या अहम्
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मानव का "मैं" अहम् के रूप में -- मैं ही मैं हूँ इस सृष्टि में, और न कोई इस दृष्टि में, मैं ज्ञानी हूँ सब अज्ञानी सादी सच...
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रविवार, 26 अगस्त 2007
नारी
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नारी का गौरव, सौन्द्रर्य, महत्तव स्थिरता में है, जैसे उस नदी का जो बरसात के मटमैले, तेज़ प्रवाह के बाद शरद् ऋतु में नीले जल वाली मंथर गतिमानि...
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