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मंगलवार, 29 जनवरी 2008

सपनों की नगरी मुम्बई में छह दिन 2 (कुछ बोलती तस्वीरें)

मुम्बई में चलती कार से , होटल की या अस्पताल की खिड़की से ली गई तस्वीरों में से कुछ तस्वीरें त्रिपदम कहें ---














गौर से देखो

अक्स में दिल मेरा

देश में छोड़ा











इतने एसी
कितना प्रदूषण
दिल धड़का
























राह चलते
किताबें खरीदीं थी
सस्ती दो तीन














ध्यान में लीन
कबूतर सोच में
मन मोहता





















गहरा कुँआ
जल-जीवन भरा
मन भी वैसा














प्यारे बालक
देश-प्रेम दर्शाएँ
रिपब्लिक डे










रस्ता देखूँ मैं
कोई मीत मिलेगा
आशा थी बस






देखे किसको
कागा पीठ दिखाए
गीत सुनाए












मीत को पाया
वट-वृक्ष का साया
मन भरमाया

15 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत खूब, बहुत बढिया। बहुत ही सटीक त्रिपदम।

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  2. बढ़िया । चित्र बहुत अच्छे । त्रिपदम् भी अनुकूल।
    कागा वाली तस्वीर और पंक्तियों में सबसे ज्यादा सामंजस्य लगा। अंतिम तस्वीर सबसे सुंदर।

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  3. चित्रों में अच्छे से बयां कर दिया आपने मुंबई का हाल।

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  4. रोचक है मुम्बई को स्वप्नों का शहर कहना। आदमी वहां स्वप्न ले कर आता है।
    मुम्बई का अनुभव तो नहीं है बहुत मुझे; पर लगता है मुम्बई लोगों को निराश नहीं करता।

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  5. बहुत शानदार... तस्‍वीरें भीं और त्रिपदम भी... एकदम सटीक. :-)

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  6. बड़े एक्‍सप्रेसिव फ़ोटो हैं. सच्‍ची. और-और उतारते रहा करिये.

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  7. इतने सालों से मुंबई में ही हूं लेकिन कभी इन पर ध्‍यान ही नहीं गया

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  8. शानदार !
    लाजवाब !!
    बेमिसाल !!!

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  9. सारी फोटो ही बोलती हुई सी हैं .वाह...वा...फोटो के लिए जो विलक्षण दृष्टि चाहिए वो मानना पड़ेगा आप के पास है.
    नीरज

    जवाब देंहटाएं
  10. सारी फोटो ही बोलती हुई सी हैं .वाह...वा...फोटो के लिए जो विलक्षण दृष्टि चाहिए वो मानना पड़ेगा आप के पास है.
    नीरज

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  11. बहुत अच्‍छी कविता, उससे अच्‍छे फोटो

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  12. DD Bombay ke bare main par kar bahut acha laga.
    Chand

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